16.7.10

निशंक ने मारा विरोधियों पर तमाचा

निशंक ने मारा विरोधियों पर तमाचा
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उत्तराखंड में आधा मेगावाट से 25 मेगावाट तक की हाइड्रो परियोजनाओं के आवटंन की प्रक्रिया को सरकार ने रद्द कर अपने उन विरोधियों को कड़ा जबाब दिया है। जो पिछले कई दिनों से राज्य सरकार और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री को इस मामले को लेकर घेर रहे थे। क्योंकि इस मामले खंडूडी के करीबी रहे उस वक्त के ऊर्जा सचिव और खंडूड़ी सरकार में प्रमुख सचिव साथ ही उस वक्त के राज्य सरकार ने 25 जुलाई 2008 को जो विज्ञापन जारी किया था। उसमें कई कमियां थी,जो ऊर्जा निति के हिसाब से भी नहीं था। मसलन इस परियोजना के लिए वही अपलायी कर सकता था. जिसके पास 50 लाख नेटवर्थ हो,जबकि विज्ञापन में इसे 25 लाख दिया गया था। इसके साथ ही इस के लिए डीपीआर देने की बात थी...लेकिन विज्ञापन में यह नहीं था। इससे साफ जाहिर हो जाता हैं कि यह काम निशंक सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ,बल्कि इसकी भूमिका तो काफी पहले ही रख दी गयी थी। लेकिन विपक्षियों और बीजेपी के कुछ माननीयों को यह सब नहीं दिखायी दिया और उन्होंने चारों तरफ से निशंक सरकार को घेरने की योजना बनायी...कुछ कलमकारों और कुछ भीतर बैठे अपने गुरगों से मुख्यमंत्री को हर हाल में घेरने की रणनीति बनायी। जिसका जबाब मुख्यमंत्री ने इस हाइड्रों परियोजनाओं के आवटंन को रद्द कर दे दिया है।
दरअसल इस मामले की फाइल जब वर्तमान मुख्यमंत्री निशंक ने खोलवायी तो,इसमें उन्होने कई कमियां पायी,जिसको देखते हुए ही मुख्यमंत्री निशंक ने खुद इस मामले को लेकर आपत्तियों मंगायी थी। इसके बाद इन आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए। राज्य सरकार में माध्यम से एक विशेष समिति का गठंन किया गया और इसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया की इस मामले में साथ ही आवटंन प्रकिया में कई खामियां है...जिसके बात सरकार इस आवंटन प्रक्रिया पर रोक लगाने का निर्णय लिया। यह कदम निश्चित तौर पर उन लोगों के मुंह पर तमाचा हैं....जो दुसरे लोगों के फैंक गये किचड़ को मुख्यमंत्री निशंक के ऊपर उछालना चाहते थे।
- जगमोहन 'आज़ाद'

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