भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
17.7.10
डा त्रिमोहन तरल की गज़लें
सियासत खून पीती है हमारा तो ग़लत क्या है
दरख्ते ज़िन्दगी पर बेल हमने ख़ुद चढ़ाई है
कभी ये शेर कहने वाले कवि और शायर डा.त्रिमोहन तरल की गजलें
साखी पर
1 comment:
Udan Tashtari
17/7/10 7:00 AM
जाते हैं साखी पर.
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जाते हैं साखी पर.
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