निशंक ने दिया उत्तराखंड के नौजवानों को रोजगार का तौफा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड के बिरोजगार युवाओं से जो वाद किया था। वह उसे जल्द ही पुरा करने जा रहे। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के नौजवानों को यह भी बता दिया हैं कि अब आपको अपने घर-गांव-खेत-खलिहानों को छोड़कर मैदानों की तरफ रोजगार के लिए नहीं दौड़ना पड़ेगा,क्योंकि डॉं.निशंक ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए उन्हीं के राज्य में लगभग 12 हजार पदों पर नौकरी देने का एक छोटे से अभियान की शुरूआत कर दी है। जिसकी घोषणा निशंक सरकार ने 20 जुलाई 2010 को देहरादून में की साथ ही सरकार ने यह भी संकेत दे दिया हैं कि यह तो अभी शुरुआता है। भविष्य में सरकार उत्तराखंड के नौजवानों के लिए उनके अपने वतन में बहुत कुछ सुविधाएं देने जा रही है। जिसके चलते पहाड़ के युवा पहाड़ में रहकर खुद के जीवन को सुखमय ढंग से व्यतीत कर पायेगा और पहाड़ फिर से गुंजयमान होगें।
इसकी शुरूआता अभी समुह 'ग' की भर्तियों में युवाओं को रोजगार के ज्यादा मौके दिए जाने से कर दी। इससे पहले इस तरह के निर्णय किसी भी सरकार द्वारा नहीं लिया गया था। इस श्रेणी में राज्य लोक सेवा आयोग के पदों पर भर्ती की पात्रता के लिए अब रोजगार दफ्तर में पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। आयोग से बाहर और उसके दायरे के तकरीबन 12 हजार पदों पर तीन माह में भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। भर्ती परीक्षा के लिए आयु सीमा में पांच वर्ष की बढ़ोत्तरी भी की गई है। साथ ही आईआईटी व पालीटेक्निक अब तकनीकी शिक्षा को इनसे जोड़ दिया गया है। राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
देहरादून में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के निर्णयों को मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि सूबे में समूह-ग के रिक्त 12 हजार पदों में तकरीबन 1500 पद आयोग के परिधि में हैं, जबकि 10500 पद इससे बाहर हैं। आयोग से बाहर समूह-ग के पदों पर भर्ती के लिए राज्य के सेवायोजन दफ्तरों में पंजीकरण अनिवार्य है। पड़ोसी राज्य हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड ने भी कदम बढ़ा दिए हैं। आयोग के पदों पर भर्ती के लिए रोजगार दफ्तर में पंजीकरण जरूरी होगा। यही नहीं समूह-ग के लिए आयोग की लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार में भी राज्य की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विशिष्ट रीति-रिवाज से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे। समूह-ग की भर्ती के नए प्रावधानों को सेवा नियमावली में शामिल किया जाएगा। विभिन्न महकमों में इन पदों के लिए अलग-अलग के बजाए एक नियमावली होगी। तृतीय श्रेणी के इन 12 हजार पदों को जल्द भरा जाएगा। आयोग के बाहर के साढ़े दस हजार पदों के लिए भर्ती परीक्षा का जिम्मा प्राविधिक शिक्षा परीक्षा परिषद रुड़की को दिया गया है। परिषद की चयन समिति इस कार्य को अंजाम देगी। भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी। इस परीक्षा में 40 वर्ष आयु के युवा आवेदन कर सकेंगे। यह व्यवस्था सिर्फ मौजूद वर्ष के लिए लागू होगी। इसके बाद पहले से तय आयु सीमा 35 वर्ष लागू रहेगी। समूह-ग की भर्ती प्रक्रिया को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों पर चर्चा के बाद कैबिनेट ने यह निर्णय लिया गया। तकनीकी शिक्षा का कैनवास अब बड़ा हो गया। इसके दायरे में अब आईटीआई भी होंगे। विशेष तौर पर आईटीआई संचालित कर रहा प्रशिक्षण महकमा अब तकनीकी शिक्षा के अधीन होगा। विद्यार्थियों को बेहतर तकनीकी प्रशिक्षण के लिए आईटीआई, पालीटेक्निक भी तकनीकी शिक्षा की एक छतरी के नीचे होंगे। तकनीकी कौशल से जुड़े सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व डिग्री कोर्स की गुणवत्ता और विद्यार्थियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिए तकनीकी शिक्षा का एकीकरण किया गया है। अलबत्ता, एक महकमे के तहत दोनों निदेशालय बदस्तूर काम करेंगे। मुख्य सचिव के मुताबिक नई व्यवस्था में आईटीआई पास करने वालों को पालीटेक्निक में लेटरल इंट्री का मौका देने पर विचार किया जाएगा। आईटीआई में आठ नए कोर्स को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। इनमें एडवांस मॉड्यूल आटोमोबाइल सेक्टर, एडवांस मॉड्यूल इलेक्ट्रिकल सेक्टर, एडवांस मॉड्यूल प्लांट प्रोसेसिंग, लाइब्रेरी एंड इनफोरमेशन साइंस, हास्पिटल हाउसकीपिंग, हेयर एंड स्किन केयर, डेंटल टेक्निशियन व फ्रंट आफिस असिस्टेंट शामिल हैं। इंडस्ट्रीज और रोजगार की जरूरत को ध्यान में रखकर नए ट्रेड तैयार किए गए। नए ट्रेड के लिए अलग से अनुदेशकों के नए पद सृजित नहीं किए जाएंगे। मृतप्राय: अथवा जिन ट्रेड की मांग बेहद कम हो गई है, उनके रिक्त पदों को नए में कन्वर्ट किया जाएगा। इससे सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
डॉ.निशंक का कहना हैं की ये तो अभी हमने शुरूआता भर की हैं,लेकिन हम भविष्य में अपने पहाड़ के लिए और कुछ योजनाओं को लाने वाले है। जिससे उत्तराखंड का विकास हो और राज्य में हर किसी को इस विकास का फ्यादा मिले।
जगमोहन 'आज़ाद'
एक कवी हृदय मुख्यमंत्री से और भी बहुत सी उम्मीदें हैं.
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