(पिंकी उपाध्याय)
सिवनी-:यह सिवनी शहर है गर्मी के दिनों में तापमान झुलसा देने वाली गर्मी पैदा करता हैं ऐसी गर्मी में एक तो आप घर से नहीं निकलते हैं और यदि निकलते भी हैं तो इतने सुरक्षित होकर कि गर्मी का कोई थपेड़ा आपको छू न जाये लेकिन भरी दोपहरी में तपती सड़क पर नंगे पैर दौड़ता बचपन आपकी गाड़ी को चमगादड़ और अपनी गदंगी को दूर करने की चिंता किये बगैर आपकी गाड़ी को चमका देना चाहते हैं यह देखकर दिल धक से सीना फाड़कर बाहर आने को हो जाता है।
आधुनिक युग में डामर की सड़के लगभग शहर से गायब हो गई हैं और पूरे शहर में सीमेंट की सड़के बन गई हैं गर्मी में स्थिति यह है कि अगर २० सेकेण्ड आप सड़क में खड़े हो जाओ तो आपके पैर में फोला पडऩा आम बात है किंतु ये बच्चे तो इसके आदी होते है और कोई बात की शिकायत भी नहीं करते। आज मुझे कचहरी चौक में "आभा" मिली जिसकी उम्र लगभग ६-७ साल रही होगी मैली कुचेली फटी फ्राक पहनी आभा इतनी गर्मी में अपना पसीना भी नहीं पोंछ पा रही थी क्योंकि उसकी गोद में लगभग ६ महीने का छोटा बच्चा था वो मेरे पास आई और बोली बाबूजी और हाथ फैला दिया उसे एक का सिक्का देकर मैं अपने आप को धन्य समझने लगा था घर वापस लौटते समय रिंकी और नेहा मिली इनकी हालत भी आभा से मिलती जुलती थी तब इस बात ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक-दो रूपये देकर हम इन्हें भाषण और नसीहत देकर अपने आप को धन्य समझते हैं इन छोटी-छोटी नन्ही परियों के लिये राज्य शासन ने लाडली लक्ष्मी योजना बनाई हैं लेकिन फायदा कोई और उठा रहा हैं अगर सर्व शिक्षा अभियान लागू है तो क्यों ये नन्ही परियां रोड में भीख मांग रही हैं कुछ तो इनके माँ बाप भी उत्तरदायी हैं जो इन्हें भीख मांगने पर मजबूर करते हैं और कुछ हम जैसे लोगो की गल्ती है जो उन्हें देखते ही जैसे ये इंसान ही नहीं है अपना मुंह मोड़ लेते हैं प्रशासन की लापरवाही के चलते भीख मांगना इन बेटियों की आदत में शुमार हो गया हैं अगर शासन प्रशासन इन योजनाओं का सही उपयोग करता तो इन हाथों में कलम होती और ये नन्हें हाथ कभी भीख नहीं मांगते।
सिवनी-:यह सिवनी शहर है गर्मी के दिनों में तापमान झुलसा देने वाली गर्मी पैदा करता हैं ऐसी गर्मी में एक तो आप घर से नहीं निकलते हैं और यदि निकलते भी हैं तो इतने सुरक्षित होकर कि गर्मी का कोई थपेड़ा आपको छू न जाये लेकिन भरी दोपहरी में तपती सड़क पर नंगे पैर दौड़ता बचपन आपकी गाड़ी को चमगादड़ और अपनी गदंगी को दूर करने की चिंता किये बगैर आपकी गाड़ी को चमका देना चाहते हैं यह देखकर दिल धक से सीना फाड़कर बाहर आने को हो जाता है।
आधुनिक युग में डामर की सड़के लगभग शहर से गायब हो गई हैं और पूरे शहर में सीमेंट की सड़के बन गई हैं गर्मी में स्थिति यह है कि अगर २० सेकेण्ड आप सड़क में खड़े हो जाओ तो आपके पैर में फोला पडऩा आम बात है किंतु ये बच्चे तो इसके आदी होते है और कोई बात की शिकायत भी नहीं करते। आज मुझे कचहरी चौक में "आभा" मिली जिसकी उम्र लगभग ६-७ साल रही होगी मैली कुचेली फटी फ्राक पहनी आभा इतनी गर्मी में अपना पसीना भी नहीं पोंछ पा रही थी क्योंकि उसकी गोद में लगभग ६ महीने का छोटा बच्चा था वो मेरे पास आई और बोली बाबूजी और हाथ फैला दिया उसे एक का सिक्का देकर मैं अपने आप को धन्य समझने लगा था घर वापस लौटते समय रिंकी और नेहा मिली इनकी हालत भी आभा से मिलती जुलती थी तब इस बात ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक-दो रूपये देकर हम इन्हें भाषण और नसीहत देकर अपने आप को धन्य समझते हैं इन छोटी-छोटी नन्ही परियों के लिये राज्य शासन ने लाडली लक्ष्मी योजना बनाई हैं लेकिन फायदा कोई और उठा रहा हैं अगर सर्व शिक्षा अभियान लागू है तो क्यों ये नन्ही परियां रोड में भीख मांग रही हैं कुछ तो इनके माँ बाप भी उत्तरदायी हैं जो इन्हें भीख मांगने पर मजबूर करते हैं और कुछ हम जैसे लोगो की गल्ती है जो उन्हें देखते ही जैसे ये इंसान ही नहीं है अपना मुंह मोड़ लेते हैं प्रशासन की लापरवाही के चलते भीख मांगना इन बेटियों की आदत में शुमार हो गया हैं अगर शासन प्रशासन इन योजनाओं का सही उपयोग करता तो इन हाथों में कलम होती और ये नन्हें हाथ कभी भीख नहीं मांगते।
saari yojnae to sirf pahuch aur jod-tod walo ke liye hai.
ReplyDeleteRajiv Gandi shiksha mission to bhrastachar mission hai.
इस सब के लिए किसी को तो पहला कदम उठाना पड़ेगा न...तो फिर आप और हम ही क्यों नहीं.?
ReplyDeleteशुक्रिया इस जागरूक पोस्ट के लिए.
आप की रचना 30 जुलाई, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका