17.7.10

एक आवश्‍यक निर्देश और आग्रह

प्रिय मित्रों

पिछले कुछ दिनों से संस्‍कृत की लेखन कला विकास हेतु जो कक्ष्‍याएँ अब तक सम्‍पादित हुई हैं, उनमें आप लोगों की रूचि और उत्‍साह देखकर अति आनन्‍द प्राप्‍त हुआ । किन्‍तु अभी कुछ अधिक सफलता नहीं दिख रही है ।
मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि आप में से कुछ मान्‍यों का प्रयास तो उत्‍तम रहा है किन्‍तु अन्‍यों का प्राय: समय के अभाव के कारण अधिक अभ्‍यास नहीं हो पा रहा है ।
इस के समाधान के लिये हमने एक उत्‍तम नीति सोंची है ।
बस आप लोगों का सहयोग मिले तो कुछ ही दिनों में चिट्ठा जगत पर संस्‍कृत के लेखकों की कतार खडी हो जाएगी ।

प्रस्‍ताव यह है कि आप में से जो लोग भी थोडा- बहुत भी संस्‍कृत में लिखना जानते हैं वो मेरे इस ब्‍लाग पर लेखन प्रारम्‍भ करें ।
आपको अधिक नहीं बस सप्‍ताह या दो सप्‍ताह में कोई एक छोटी सी लघुकथा या लेख लिखना है मुझे ईमेल करना है, मैं उन लेखों में जो छोटी मोटी गलतियॉं होगी उन्‍हे सही करके पुन: आपको मेल कर दूँगा और आप उसे मेरे इस ब्‍लाग पर अपने नाम से प्रकाशित करेंगे ।

इससे दो लाभ हैं
एक तो आपको नये शब्‍दों और नये वाक्‍यों के लिखने का तरीका पता चलेगा
और दूसरी बात कि जो लोग अभी नये हैं या जिन्‍हे थोडा कम आता है उनमें बडी ही शीघ्रता से पूर्णता आएगी ।

आशा है आपको मेरी बात पसन्‍द आयी होगी
तो शीघ्रता से अपने मेल मुझे भेजें ताकि मैं आपको ब्‍लाग लेखन आमन्‍त्रण भेज सकूँ ।
बस इस बात का ध्‍यान रखना है कि इस ब्‍लाग पर केवल संस्‍कृत के लेख ही प्रकाशित ।

आपके इस प्रयास से संस्‍कृत में लोगों की रूचि और बढेगी और लोगों को यह भी पता लगेगा कि ब्‍लाग जगत पर संस्‍कृत लिखने वालों की भी कमी नहीं है ।

इस प्रस्‍ताव को चाहे मेरा अनुरोध, आग्रह या फिर संस्‍कृतहिताय प्रार्थना समझ लीजिये पर अगर आप यह निमन्‍त्रण स्‍वीकार करेंगे तो आपके साथ सम्‍पूर्ण भारतीय संस्‍कृति का गौरव बढेगा ।
और हाँ आप बहाना नहीं कर सकते कि हमें संस्‍कृत लिखनी नहीं आती, हम जानते हैं ब्‍लाग जगत पर एक से एक संस्‍कृत के धुरन्‍धर विद्वान हैं जो केवल अनभ्‍यास के कारण ही लिखना छोड चुके हैं ।
और उनका पुन: अभ्‍यास कराने ही तो आपका आनन्‍द आपके मध्‍य उपस्थित हुआ है ।

आपके प्रत्‍युत्‍तर की प्रतीक्षा रहेगी

भवदीय - आनन्‍द

No comments:

Post a Comment