अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
19.8.10
बेवस गंगा= पंकज कौशिक, राम विशाल देव 09897464172
बेवस गंगा कर रही क्रंदन , कराह रही , सूख रही , मिट रही . छली जा रही गंगा, कैद हो रही पहाड़ो में गंगा, चीख पुकार करती गंगा . धर्म -आस्था के नाम पर ठगी जाती रही गंगा , आज होती बेवस गंगा |
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