नेते की कीमत एक रूपए
एक आदमी ! गुटका लेकर ढेर सारे,
बेच रहा था ,सड़क के किनारे
और
साथ ही साथ ये बोली रहा था लगा
ग्राहक का भाग्य जगा
क्युकी!
अब नेता एक रूपए में ,
यह बात उड़ कर नेता जी के पास गई
नेता जी की दिमाग ठनक गई
कदम भी बहक गई
वो तुरंत गए थाने
लगे अपनी मनाने
कोट गए वहा लगे भुनाने
जब बात नहीं बनी
तो लेकर कार्यकर्ताओ का जत्था
चढ़ गये संसद का माथा
बोले सड़क के किनारे
एक आदमी नेता की बोली लगा रहा है
संसद के अधकारी ने उस आदमी से पूछा
तो उस आदमी ने इसका कारण बताया!
की जब हमारे देश में एक रूपये में
गंगा बिक रही है,
तुलसी बिक रही है,
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बिक रही है
तो मैंने क्या गलत किया?
जब नेता की भी कीमत एक रूपये लगाया!
PRADEEPT MISHRA
9334864231
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