2.8.10

सरकार ने पंचायती राज सिर्फ पैसा ठिकाने लगाने के लिए लागू किया है

कटनी. पंचायती राज व्यस्था के लागू होने के बाद गाँव की जनता को यह लगा की अब उनके द्वारा उनकी ही सरकार होगी. लेकिन कटनी जिले में पंचायतो की दशा-दुर्दशा देखकर तो यही लगता है की सरकार ने पंचायती राज सिर्फ पैसा ठिकाने लगाने के लिए लागू की है,

जब से रोजगार गारंटी योजना देश में आई है तब से बेरोजगारों को रोजगार तो नहीं मिला पंचायत विभाग से जुड़े तमाम अधिकारी कर्मचारी मालामाल हो गए. जनपद सी ई ओ, जनपद के बाबु, पंचायत के सचिव सभी झोपड़ी से महलो में और दुपहिया से चार पहिया पर चलने लगे.


जनपद रीठी में भ्रष्टाचार आज चरम पर है. यहाँ पदस्थ सी ई ओ मुख्यालय पर निवास करते कभी नहीं पाए जाते. ये तो जबलपुर से आना जाना करते है. स्पस्ट है की रीठी से एक सौ चालीस किलोमीटर की दूरी तय करने में दिन गुजर जाता है. तब सी ई ओ कम रीठी पहुचते होगे और कब काम करते होगे आप स्वयं ही अंदाज़ा लगा सकते है.


लापरवाह और गैरजिम्मेदार जनपद रीठी के कर्मचारी सी ई ओ की गैरमोजूदगी का पूरा पूरा मजा ले रहे है. पूरा का पूरा स्टाफ अपनी-अपनी वसूली में लगा है. सूचना की जानकारी मागने पर पत्र पकड़ा दिया जाता है की पच्चीस हज़ार रुपया जमा कर जानकारी लो. सारी जानकारी को छुपा कर रखा जाता है. अद्यतन जानकारी को जनता तक नहीं पहुचाया जाता. रीठी जनपद के प्रवेश द्वार पर लगे सूचना पटल पर दर्शाए गए कर्मचारियो से तीन गुना अधिक कर्मचारी कार्यरत है. यानी एक पर तीन व्यक्ति कार्य कर रहे है.


यह पैसा इन कर्मचारियों को कौन देता है ?


जनपद में चल रहे कार्यो की जो सूची प्रवेश द्वार के निकट लगाई गई है वह भी २००८-०९ की है.

पिछले दिनों ग्राम रोजगार सहायक की भारती में जनपद सी ई ओ ने अपने दलालों के माध्यम से जमकर पैसा बसूला है, इसी के चलते योग्य व्यक्ति को न लेकर अयोग्य पैसे वालो का चयन किया गया है. ऐसा यहाँ सी ई ओ सुरेश झरिया के आने के बाद से लगातार हो रहा है. सी ई ओ रीठी ने दलाल पाल रखे है जिनके माध्यम से भरती के दौरान चयन की लिस्ट इन दलालों को दिखा दी जाती है फिर चाहे वह शिक्षा कर्मी की भरती हो, आंगनवाडी कार्यकर्त्ता सहयिया की भरती हो या फिर ग्राम रोजगार सहायक की भरती क्यों न हो.


इस पद की भरती में ग्राम पंचायत घनिया में नियम विरुद्ध भरती किये जाने की शिकायत इसी ग्राम पंचायत के निवासी शैलेश चोरासिया ने की. पहले जारी सूची में प्राविन्यता के आधार पर दूसरे तीसरे नम्बर के आवेदक का चयन न करके सीधे सातवे नंबर के आवेदक को इस पद के लायक समझा गया.


शैलेश चोरासिया ने शिकायत में लिखा है की वह पि जी दी सी ए है फिर भी उसका चयन नहीं हुआ जबकि कम पढ़े लिखे कम्पूटर से बिलकुल अंजान कम प्रतिशत वाले आवेदक का पैसे लेकर चयन कर लिया गया है.


ऐसे में फिर शैक्षणिक योग्यता का क्या मतलब है?

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