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अन्धविश्वास बढाती इलेक्ट्रौनिक मीडिया-ब्रज की दुनिया

जब १९२० के दशक में टेलीविजन का अविष्कार हुआ तब पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह गई.हजारों साल पहले महाभारत में वेद व्यास ने संजय के माध्यम से जो कल्पना की थी वह यथार्थ में बदल गया था.पूरी दुनिया विज्ञान के इस कौतुक पर मुग्ध हो उठी.माना गया कि टेलीविजन के माध्यम से साक्षरता और वैज्ञानिकता का प्रसार होगा और अन्धविश्वास दूर होगा.जब तक भारत में सिर्फ सरकारी इलेक्ट्रौनिक माध्यम मौजूद थी तब तक तो संचार का यह सबके शक्तिशाली माध्यम सचमुच अंधविश्वासों से जूझता हुआ देखा गया लेकिन जैसे ही निजी प्रसारकों को अनुमति दी गई धीरे-धीरे स्थितियां बदलने लगीं.उन्हें लगा बाजारीकरण के इस दौर में लोगों के मन में घुसे अंधविश्वासों को बेचकर भी पैसा कमाया जा सकता है और वे भूल गए कि उनके कन्धों पर कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां भी हैं.वे बजाये अंधविश्वासों को कम करने वाले कार्यक्रमों को प्रसारित करने के इसे बढ़ावा देनेवाले कार्यक्रम दिखाने लगे.धीरे-धीरे इन कार्यक्रमों की रेटिंग बढ़ने के साथ-साथ ऐसे कार्यक्रमों की संख्या भी बढती गई.आज लगभग सारे निजी चैनलों पर अन्धविश्वास को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं.कुछ चैनलों ने इसके लिए विशेष रूप से तांत्रिक टाइप लोगों को नियुक्त कर रखा है.उदाहरण के लिए इंडिया टी.वी. पर राशिफल बताने का जिम्मा एक डरावने दिखने वाले बाबा का है जो राशिफल कम बताते हैं,डराते ज्यादा हैं.उनका बस चले तो वे पूरे भारत को शनि निवारक जंतर धारण करा दें.अन्य कई चैनलों ने भी इस तरह के बाबाओं को जनता को डराने का जिम्मा दे रखा है.किसी चैनल पर गणेशजी के नाम पर गणेश उवाच कह कर भविष्यवाणी की जा रही है तो किसी पर शनि देवता के नाम पर.हम सभी जानते हैं कि किसी मानव के भविष्य में क्या होनेवाला है बता पाना पूरी तरह से असंभव है,फ़िर क्यों टी.वी. चैनल घंटों तक राशिफल दिखा रहे हैं?लगभग सभी चैनलों पर ज्योतिषियों को दर्शकों की समस्याओं का निवारण करने के लिए बुलाया जाता है.लोग अपनी जन्मतिथि और समय बताते हैं और बाबाजी ग्रहदशा दोषपूर्ण बता कर कई तरह के रत्न धारण करने की सलाह देते हैं.क्या कनेक्शन है धरती पर बैठे-बैठे दूर अन्तरिक्ष में स्थित ग्रहों की स्थिति बदली जा रही है.इतना ही नहीं लगभग सभी निजी चैनलों पर दर्शकों को बुरी नज़रों के संभावित दुष्परिणाम दिखा कर नज़र रक्षा कवच खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.कितनी अवैज्ञानिक और वेबकूफाना बात है ये!बुरी नज़रों से आपका स्वास्थ्य और व्यवसाय प्रभावित हो सकता है.अभिमंत्रित नज़र रक्षा कवच पहनते ही आप सुरक्षित हो जायेंगे.इसके साथ-साथ भगवान शिव और हनुमान जी के वीडियो दिखाकर शिवरक्षा कवच और हनुमत रक्षा कवच खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.इस तरह के कवचों का कोई वैज्ञानिक और तार्किक आधार नहीं है और इन्हें बेचने की कोशिशों को सिर्फ ठगी का नाम ही दिया जा सकता है.लेकिन लालच में आपादमस्तक डूबे इन निजी चैनल वालों को न तो समाज से ही कुछ लेना-देना है और न ही दर्शकों की भलाई से.उन्हें तो बस ऊंची टी.आर.पी. रेटिंग चाहिए और पैसा चाहिए चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े.लेकिन सरकार तो जनहित से तटस्थ नहीं रह सकती उसे तो इस तरह के जनविरोधी कार्यक्रमों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने ही चाहिए.

3 comments:

  1. किसी मानव के भविष्य में क्या होनेवाला है बता पाना पूरी तरह से असंभव है
    इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं .. क्‍यूंकि भविष्‍य सिर्फ जन्‍मकुंडली पर ही नहीं .. कर्मकुंडली पर भी निर्भर करता है .. पर ज्‍योतिष के द्वारा मनुष्‍य के जीवन में आनेवाली परिस्थितियों के कुछ संकेत तो हमें मिल ही जाते हैं .. इस बारे में इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया से हमने कई बार कंटेक्‍ट किया .. एक बार सहारा समय के पत्रकारो ने 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की भविष्‍यवाणियां से प्रभावित होकर मेरे पिताजी की इंटरव्‍यू की पूरी रिकार्डिंग भी कर ली .. पर इसके प्रसारन की अनुमति नहीं दी गयी .. जिस तरह मुआवजे के लालच में बाढ से प्रभावित रहने वाले राज्‍य उसका स्‍थायी समाधान नहीं ढूंढते .. उसी प्रकार ये इलेक्‍ट्रानिक मीडिया भी जनता में सनसनी पैदा कर अपनी टी आर पी बढाने के लिए ज्‍योतिष में क्‍या सच है और क्‍या झूठ .. इसे जनता के समक्ष नहीं रखना चाहती !!

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  2. सौ फीसदी सच है। अफ़सोस इस बात का भी है की दर्शक भी ऐसे प्रोग्राम्स को पसंद करते है।
    मीडिया का काम जागरूकता लाना है अन्धविश्वास बढ़ाना नहीं। सही विषय सामने रखा है आपने।
    संगीताजी ने जो कहा उससे भी पूरी तरह से सहमत हूँ।

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  3. aisaa lagtaa hai ki jaise jyotishiyon ne poore sansaar kaa bhawishy bataane kaa thekaa le rakhaa hai jabki inki jyaadaatar bhavishyvaaniyaan galat hi siddh hoti hain ,main swaym bhukt bhogi hun,1990 me mai chaaron or se pareshaaniyon me ghir gyaa to desh ke itne bhi achchhe jyotishi the ,sabse sampark kiyaa ,sabhi ke bataaye tone totke karke dekhe parantu kisi bhi samasyaa kaa samaadhaan nahi huaa ,yaani ke sabhi jyotishi fail ,yadi unse kaho ki kuchh nahin huaa to seedhe kah dete jab tumhaari shrddhaa hi nahi hogi to kaary kaise banegaa ,jabki meri aasthaa kaa haal ye thaa ki dog mujhe bhairon najar aate the ,or prtyek rat ,ganesh ji lagte the ,sabhi baabe mujhe shivji najar aate the ,koi taabij de detaa to koi naariyal bataa detaa ,parantu sab bekaar ,uske baad me paamistry me ram gyaa to kuchh samajh aayaa ki hamaare haath me kuchh raikhaaye hain jo ki kisi had tak sahi byaan kar deti hain par use bhi padhne waalaa or samajhne waalaa chaahiye
    aaj haalaat ye ho gye hain ki ek to aadmi maraa hotaa hai or ye usse kuchh naa kuchh chhenkar daridr banaa dete hai ,to mere hisaab se to sab andhwishwaas hai ,yadi aadmi kaa buraa vakt aa jaaye to us samay ko sanyam se bitaakar achchhe vakt kaa intjaar karo ,kar sako to ishwar ko yaad karo

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