19.8.10

उफ़! कब रुकेगी ये धर्म की जंग

पहले गुजरात के दंगे, फिर मऊ के और अब बरेली में कत्लेआम। क्या यही है धर्म निर्पेछ्ता का सच। कितना शर्मिंदगी महसूस करता होगा ऊपर वाला हमें जानवरों से भी बदतर इन्सान बनाकर। कहने को तो हम इस धरती के सबसे बुद्धिमान प्राणी हैं, मगर हममे सच्चाई की समझ बिलकुल नहीं। इससे पहले की हमरी हरकतों से नाराज होकर ऊपरवाला कयामत ला दे। हमें एकजुट हो उससे माफ़ी माग लेनी चाहिए।
भला किसी का कर न सको तो बुरा किसी का मत करना

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