14.8.10

हर तरफ रूदन बर्बादी है-ब्रज की दुनिया

हर तरफ रूदन बर्बादी है,
क्या इसी का नाम आज़ादी है?
देश कर रहा तीव्र विकास,
गरीबों का हो रहा विनाश;
उद्योगपति हैं मालामाल,
आम आदमी हुआ बेहाल;
नेता-पुलिस लूट रहे देश को
बदनाम खाकी-खादी है;
हर तरफ रूदन-बर्बादी है,
क्या इसी का नाम आज़ादी है?
सूचना मांगो गोली मिलती,
न्याय मांगो तो तारीख मिलती;
ग्राम-प्रधान शोषण कर रहा,
भाई-भतीजों का पोषण कर रहा;
राशन-किरासन ब्लैक हो रहा,
गोदामों में अनाज सड़ रहा;
सुरसा के मुंह की तरह तेजी से,
बढ़ रही आबादी है;
हर तरफ रूदन बर्बादी है,
क्या इसी का नाम आज़ादी है?
नक्सली आतंक फैला रहे,
आम जनता को डरा रहे;

जाति और धर्म का झगड़ा लगाकर,
नेता जनता को बरगला रहे;
महंगा हुआ जीना भारत में,
महंगी बेटी की शादी है;
हर तरफ रूदन बर्बादी है,
क्या इसी का नाम आज़ादी है?
देश को लूटने की आज़ादी,
कानून तोड़ने की आज़ादी;
कानून बनाने की आज़ादी,
घूस खाने की आज़ादी;
जनता को बाँटने की आज़ादी,
योजना बनाने की आज़ादी;
डंडा लहराने की आज़ादी;
हर तरफ माहौल-ए- आज़ादी,
हर किसी को हके आज़ादी है;
हर तरफ रूदन बर्बादी है,
क्या इसी का नाम आज़ादी है?

3 comments:

  1. सही चिंता ज़ाहिर की है आपने।
    जय हिन्द!

    ReplyDelete
  2. आपने
    बहुत उम्दा पोस्ट लगाई है।
    लोकहित की बात उठाई है।
    स्वतंत्रता दिवस की
    हार्दिक बधाई है ॥
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  3. sachmuch yeh azadi nahin hai......
    aur sabse bada afsos yeh ki itne saalon baad bhi yehi hal hai.
    achhi aur prabhavi lagi apki kavita.

    ReplyDelete