देश की साख बने कॉमनवेल्थ यानि एक बड़ा महाकुंभ, लेकिन खेलों पर घोटालेबाजी की जैसी काली छाया पड़ी कि वह शर्मदारों के लिये शर्मनाक है। देश की नाक कटवाने के लिये करोड़ों के ठेके छोड़ दिये गए। भ्रष्टाचारियों की जमात ने जो गुल खिलाया मीडिया ने उसकी बखिया उधेड़ दी। भ्रष्टाचारी खुद भी कभी तय नहीं कर पाते कि कौन कितना बड़ा भ्रष्टाचारी। रही सही कसर 10 करोड़ की लागत से बने फुट ओवरब्रिज ने गिरकर पूरी कर दी। फेडरेशन के माइक हॉपर ने साफ कर दिया है कि खेल गांव रहने लायक नहीं है। जो कॉमनवेल्थ सरताज होने चाहिए थे उन्हें लेकर पूरे विश्व में जो बदनामी हो रही है उसके लिये आखिर कौन जिम्मेदार है? जाहिर है बेचारी जनता तो नहीं। आयोजन समिति ने जैसे ऐसा रिकार्ड बनाने की ठान ली है, जो दुनिया में नाक कटवाने का काम करे। जमकर राजनीति हो रही है, कोई बोलता है, तो कोई मोनीबाबा बना हुआ है। ऊपर वाला खैर करे सब सकुशल सम्पन्न हो जाये।
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