रघुपति राघव राजा राम , कलियुग व्यापा है श्री राम ।
राजनीति का बना अखाडा , जन्मभूमि और तेरा नाम ।
जनता पिसती दो पाटों में , दोनों तरफ है तेरा नाम ।
एक बिरोधी दल के नेता , एक बोलते जय श्री राम ।
एक जुए में बाजी लगाता , एक नग्न करता है राम ।
परदे के पीछे जाकर सब , भूल हैं जाते तेरा नाम ।
किसे कहें अब पांडव और , किसे कहें कौरव हम राम ।
अंतर नहीं रहा दोनों में , दोनों बेंच रहे हैं तेरा नाम ।
अब तो तुम ही न्याय करो , अवधपुरी के राजा राम ।
बिस्मिल्लाह करना है सबको , या कहना है जय श्री राम ।
"रघुपति राघव राजा राम
ReplyDeleteअब कहना है जय श्री राम"
सही चिन्तन !
ReplyDeleteउम्दा बात.........
अंततः जै श्रीराम।
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