24.9.10

श्री रामाय नमः !

मैं यशवंत जी को सबसे पहले मुबारक बाद देना चाहूँगा जिन्होंने कुछ अलग करने की कोसिस की।


मेरा नाम अरुण तिवारी है। मेरी उम्र २५ वरस है और मैं सूरत से हूँ । यह मेरा पहला ब्लॉग है और मैं इसे भगवन को अर्पित करना चाहता हूँ जिन्होंने ये खुबसूरत दुनिया बनायीं है। और बिना किसी भेद भाव के प्रकृति सबके लिए सामान रूप से अपनी अबो हवा प्रदान करती है। और निश्चय ही भारत देश को भी सलामी देना चाहूँगा जिसमे पैदा हो कर मुझे गर्वान्वित महसूस होता है।

vakratu.nDa mahaakaaya koTisuuryakotisamaprabha nirvighnaM kuru me deva sarvakaaryeshhu सर्वदा ।

या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता.
या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा.

हिंदी अनुवाद: जो कुंद फूल, चंद्रमा और वर्फ के हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं जिनके हाथ, श्रेष्ठ वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमल पर आसन ग्रहण करती हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदिदेव, जिनकी सदैव स्तुति करते हैं हे माँ भगवती सरस्वती, आप मेरी सारी (मानसिक) जड़ता को ।

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