11.9.10

ठेकेदार के रसूख के आगे बौना हुआ सूचना निदेशालय

देहरादून। उत्तराखण्ड के सूचना निदेशालय को बीते पांच सालों से एक ठेकेदार चला रहा है। वह जब चाहता है तब अपने मनमाफिक कर्मचारी को सीट पर बैठा देता हैं और जब चाहता है किसी को भी हटा देता है। यही कारण है कि बीते सालों से यह ठेकेदार निदेशालय के अधिकारियों तक को उंगलियों पर नचा रहा है। मामला मुख्यमंत्री की वीडियो कवरेज से जुड़े ठेके के बाद तब खुला जब इस कार्य के लिए राजधानी देहरादून सहित देश के कई और स्थानों से कई ठेकेदार इस काम को लेने के लिए निविदा डालने आये। पहले तो इस ठेकेदार ने निविदा शर्तों में परिवर्तन करवाकर उसके पिछले पांच सालों से चले आ रहे ठेके को यथावत रखा और बाद में इस वर्ष इसी कार्य के लिए डाले जाने वाली निविदाओं में विभागीय अधिकारियों द्वारा रखी गयी शर्तो को बदलवा डाला। इसके बाद फिर निविदायें डाली गयी,लेकिन विभागीय कार्यो व निविदा में हस्तक्षेप किये जाने की हद तो तब पार हो गयी जब निविदा नियमों के विपरीत इस ठेकेदार को काम देने के लिए विभागीय अधिकारियों ने तकनीकी निविदा खोले जाने के बाद आमंत्रित इस निविदा प्रक्रिया में शामिल वित्तीय निविदा को खोले जाने से पूर्व ही सभी निविदा डालने वाले ठेकेदारों को आपस में बैठाकर न्यूनतम दरों पर सभी चारों ठेकेेदारों में काम बांटने पर सहमति करायी। जोकि पूर्णत: नियम विरूद्ध था। ठेकेदार की पहुंच का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह विभागों में अपने को दूरदर्शन देहरादून का समाचार प्रतिनिधि बताते हुए विभागीय ठेके लेने की कोशिश करता है। इस सम्बध में जब दूरदर्शन के अधिकारियों से बात की गयी तो उनका कहना है कि उनके यहां संवाददाता होने का दावा करने वाला इस नाम का कोई भी संवाददाता नहीं है, और जो हैं भी वह प्रसार भारती के स्थाई कर्मचारी हैं।
सूचना निदेशालय में इस वीडियो ठेकेदार की दहशत इस कदर हावी है कि विभाग के आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सब इस ठेकेदार के दबाव में काम करने को मजबूर हैं। कर्मचारी इस बात को लेकर खासे नाराज हैं कि उनके अधिकारी इस ठेकेदार के दबाव में आकर उन्हें ठीक से काम नहीं करने दे रहे हैं। अपने काम के प्रति गंभीर कर्मचारियों को यह ठेकेदार ज्यादा दिन तक अपनी सीट पर जमे नहीं रहने देना चाहता। बीच-बीच में ऐसे अधिकारियों की कुर्सियां हिलाते रहता है। हाल में ही एक कर्मचारी को अपने रसूख के चलते इस ठेकेदार ने कार्यालय में ही दूसरी सीट पर बदलवा दिया। इस ठेकेदार की इस मनमानी तथा अपने आला अधिकारियों के दबाव में आ जाने के बाद निदेशालय के कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया है। जिससे कर्मचारियों का कार्य तो बाधित हो ही रहा है साथ ही मानसिक उत्पीडऩ के दौर से भी उन्हें गुजरना पड़ रहा है।






































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2 comments:

  1. राजेन्द्र जी ,,,,, आपकी चिंता बिलकुल ठीक है जब सुचना जैसे महकमे को एक ठेकेदार चलाएगा तो ऐसा ही होगा जिसका सबसे बड़ा कारन है इस ठेकेदार का मुख्यमंत्री के साथ बैठ कर चाय पीना ,, इसी बात का रोअब वह इन कर्मचारियों अधिकारियो पर डालता है ,,आप तो अच्छी तरह से जानते है की इस ठेकेदार ने दूरदर्शन पर एक स्लोट ले रक्खा है पर बताता है सबको दूरदर्शन का अधिकारी ,,,राज्य के मुखिया की छवि को दागदार करने की इस आदमी ने पूरी तय्यारी कर रक्खी है अगर निशंक जी इस आस्तीन के साप से दूर नहीं हुए तो कोई बड़ी बात नहीं की यह ठेकेदार निशंक के नाम का भी दुरूपयोग करे ,, वेसे भे इन महाशय को वैरेस फ़ैलाने का बड़ा शोंक है ,,आपको तो याद हे होगा इन महाशय ने सचिवालय में तेनात एक अनु सचिव से जबरदस्ती एक महंगी कार भी ली थे जिस कारन था अनु सचिव जी की रंगीन मिजाजी ,,,,,

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  2. राजेन्द्र जी ,,,,, आपकी चिंता बिलकुल ठीक है जब सुचना जैसे महकमे को एक ठेकेदार चलाएगा तो ऐसा ही होगा जिसका सबसे बड़ा कारन है इस ठेकेदार का मुख्यमंत्री के साथ बैठ कर चाय पीना ,, इसी बात का रोअब वह इन कर्मचारियों अधिकारियो पर डालता है ,,आप तो अच्छी तरह से जानते है की इस ठेकेदार ने दूरदर्शन पर एक स्लोट ले रक्खा है पर बताता है सबको दूरदर्शन का अधिकारी ,,,राज्य के मुखिया की छवि को दागदार करने की इस आदमी ने पूरी तय्यारी कर रक्खी है अगर निशंक जी इस आस्तीन के साप से दूर नहीं हुए तो कोई बड़ी बात नहीं की यह ठेकेदार निशंक के नाम का भी दुरूपयोग करे ,, वेसे भे इन महाशय को वैरेस फ़ैलाने का बड़ा शोंक है ,,आपको तो याद हे होगा इन महाशय ने सचिवालय में तेनात एक अनु सचिव से जबरदस्ती एक महंगी कार भी ली थे जिस कारन था अनु सचिव जी की रंगीन मिजाजी ,,,,,

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