भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
29.9.10
आख़िरी आस
थी मेरे दिल की
एक अनबुझी प्यास,
ईश्वर अवश्य करेगा पूरी
ऐसी थी मन को आस,
पर टूटी आख़िरी उम्मीद
हुआ लाचार मन उदास,
जब एक खबर सुनी
कानों ने यूँ ही अनायास,
खुद के आशियाने की
ईश्वर को जो तलाश,
कर रहा वो खुद ही
क़ानून की कयास.
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