9.9.10


ऐसा पहली बार हुआ है...निशंक के कार्यकाल में हुआ है

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उत्तराखंड राज्य के समग्र विकास की परिकल्पना को साकार करना,छोर के आखिरी व्यक्ति के होंठो तक मुस्कान पहुंचाना ही जिसकी प्राथमिकता हो। जो अपनी वचनबद्धता को साबित करने के लिए दिन-रात एक कर प्रदेश और प्रदेश की जनता के साथ मिलकर काम कर रहा हो। निश्चित तौर पर इससे उसके चारों ओर खड़े दुश्मन में बौखलाहट का हर क्षण मौजूद हो। क्योंकि विकास-सम्मान और वचनबद्धता के चलते जो व्यक्ति अपने प्रदेश के लिए एक के बाद एक उपलब्धियां गढ़ रहा हो,उससे यकीनन पक्ष और विपक्ष के लोग भयभीत तो हो ही गए होगें। आखिर विकास में रोड़ा लगाना और विकास पुरूष के कदमों को रोकने की परंपरा तो सदियों से अपने देश में रही है। और यह तब औप पुख्ता हो जाता हैं,जब एक युवा पूरे जोश के साथ अपने प्रदेश की विकास यात्रा को बिना थके-हारे निरंतर आगे की और बढ़ा रहा हो,और यह नाम जब उत्तराखंड के युवा-तेज-तरार-कर्मठ मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' का तो,निश्चित तौर पर पक्ष-विपक्ष के कुछ चेहरों की बौखलाहट थोड़ा ज्यादा ही बढ़ जाती है।
कौन नहीं जानता की विकास के क्षेत्र में आज उत्तराखंड देश के 28 राज्यों में तीसरे स्थान पर हैं। केंद्रीय वित्त आयोग ने मुख्यमंत्री के प्रयासों को सराहा है और इसलिए एक हजार करोड़ की प्रोत्साहन राशि भी राज्य को अनुमोदित की, राज्य की प्रति व्यक्ति आय जो राज्य गठन के समय 14 हजार वार्षिक थी,बढ़कर आज लगभग तीन गुना हो गई है। यह देश का पहला राज्य है जिसने केंद्रीय कर्मियों की तरह सबसे पहले अपने राज्य कर्मियों को छठे वेतनमान का लाभ दिया है। दुनिया के अब तक के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ का सफल संचालन राज्य की बढ़िया व्यवस्था और कुशल प्रबंधन का ही परिचायक है। यह भी कौन नहीं जानता की डॉ.निशंक के सफल नियोजन का ही परिणाम है कि केंद्रीय योजना आयोग ने उत्तराखंड के बजट प्रस्ताव को पूरा का पूरा मंजूर किया। जो अपने आप में ऐतिहासिक है। डॉ.निशंक की सरकार ही वह पहली सरकार है,जिसने पहली बार पहाड़ के लिए भी विशेष आर्थिक नीति बनाते हुए उसे व्यावहारिक धरातल पर उतारना शुरू किया है। सुविधाएं व रोजगार के अवसर बढ़ाकर पलायन रोकना निशंक सरकार की प्राथमिकता है। उद्योंग बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक निवेशकों को सामाजिक जिम्मेदारी से बांधना और उत्तराखंड में लगने वाले उद्योग के माध्यम से स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ रोजगार देना। प्रशिक्षण अवधि के दौरान युवाओं को साढ़े पांच हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति देना। पंतनगर स्थित सिडकुल के अंतर्गत पहल के प्रथम चरण का शुभारंभ। एन.आई.टी,आई.आई.एम जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान को उत्तराखंड में खुलना। प्रदेश को पर्यटन,ऊर्जा,आयुर्वेद के साथ-साथ शैक्षिक हब के रूप में विकसित किया जाना। राज्य के विकास के लिए अगले बीस सालों का पूरा खाका ब्लू-प्रिंट,विजन-2020 तैयार करना। साथ ही सरकारी सेवा में नौकरियों समुह 'ग' की भ्रर्तियां,बीटिसी के साथ-साथ राज्य में रोजगार के कई श्रोतों को स्थापित करना। लोक सेवा आयोग से अधीनस्थ पदों को बाहर करना। भर्ती सीमा में पांच वर्ष की छूट देना तथा परीक्षा में स्थानीय विषयों एवं संदर्भों को प्रमुखता से शामिल कर राज्य के युवाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ना। आईटीआई को तकनीकी शिक्षा के अंतर्गत शामिल करने से सारी तकनीकी शिक्षा को एक ही छतरी के नेचे लाना। जिससे आईटीआई प्राप्त युवा भी आसानी से उच्च तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकें। उनके पाठ्यक्रम को नए जमाने की मांग के अनुरुप नवीन रूप में परिष्कृत करना।
इसके साथ ही डॉ.निशंक के माध्यम से उत्तराखंड के सभी चिहि्नत राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस फीसदी का क्षैतिज आरक्षण की परिधि में लाने का निर्णय। इससे पहले अभी तक जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को ही इस दायरे में रखा गया था। राज्य में सबसे ज्यादा दिनों तक सत्ता में रही कांग्रेस सरकार जो नहीं कर पायी थी। निशंक ने वह एक झटके में कर दिखाया,जिससे बौखला कर कांग्रेस के नेता अब निशंक के खिलाफ प्रायोजित हमले करने लगे है।
जहां तक राज्य आंदोलनकारियों की बात हैं ने तो सरकार ने पूर्ण विकलांग आंदोलनकारियों को प्रतिमाह दस हजार की पेंशन सम्मान रूप में दिए जाने का फैसला भी लिया है। सरकार ने अब जो आदेश जारी किया है। उसमें आंदोलनकारियों की नियुक्ति के संबंध में जारी पूर्व शासनादेश को संशोधित कर दिया गया है। पूर्व में राज्य आंदोलन के दौरन सात दिन की अवधि से कम जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को भी राजकीय सेवा में अधिकतम पचास साल की आयु तक नियुक्ति दिए जाने व चयन में पांच फीसदी का अधिमान दिए जाने की सुविधा थी। साथ ही दस अगस्त 2011 तक के लिए इन आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस फीसदी क्षैतिज आरक्षण की सुविधा प्रदान की गई थी। सरकार ने यह भी निर्णय लिया हैं कि राज्य आंदोलन में भाग लेने के कारण जो आंदोलनकारी चलने फिरने में असमर्थ हो गए हैं उन्हें अब दस हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। यह सम्मान उन्हीं को मिलेगा,जिन्हें कोई अन्य पेंशन अन्य श्रोत से नहीं मिल रही है। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य आंदोलनकारियों को खुशी के लहर दौड़ पड़ी हैं। आंदोलनकारियों का कहना हैं कि डॉ.निशंक ने निश्चित तौर पर आंदोलनकारियों के हित में यह काम किया है। जिसके लिए राज्य आंदोलनकारी उनका धन्यवाद करते है...क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है।महत्वाकांक्षी अटल आर्दश ग्राम योजना क्रियान्वयन के पहले चरण में चयनित ६७० न्याय पंचायत मुख्यालयों में सभी आवष्यक सुविधाएं उपलब्ध करा कर उन्हें विकास केन्द्र के रूप में विकसित करना। प्रदेश में संस्कृत भाषा के उन्नयन हेतु उत्तरांचल संस्कृत अकादमी, हरिद्वार की स्थापना और चमोली जनपद में स्थित किमोठा ग्राम को भी संस्कृत-ग्राम के रूप में बदलना अकादमी की कार्ययोजना का एक अंग है। खुद एक पत्रकार-साहित्याकार होने पर डॉ.निशंक द्वारा जिस तरह से उत्तराखंड के लेखक-पत्रकारों को सम्मानित करने उनकी पुस्तकों को प्रकाशित करने को जो ऐतिहासिक निर्णय लिया गया यह अपने आप श्रेय कर ही नहीं बल्कि डॉ.निशक की उपलब्धियों का एक प्रखर चेहरा है.....जिसने विकास के क्षेत्र में ऐसा पहली बार किया है...शायद इसलिए आजकल प्रदेश की जनता लगातार कह रही है....ऐसा पहली बार हुआ है...निशंक के कार्यकाल में हुआ है।
- जगमोहन 'आज़ाद'

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