16.9.10

अल्ला हो अकबर - जय श्रीराम ।

नफरत के जब बीज बो रहे , धर्म ध्वजा के पहरेदार ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे भगवान बचायेंगे हर बार ।


रघुपति राघव राजा राम , जोर से बोलो जय श्रीराम ।
मंदिर वहीँ बनायेगे , हम देश में दंगा करवाएंगे ।
बच्चा बच्चा राम का , जन्मभूमि के काम का ।
सुलह नहीं हो पायेगी , रथ यात्रा फिर से आएगी ।
ये तो केवल झांकी है , अभी पूरा नाटक बाकी है ।
याचना नहीं अब रण होगा , संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
नीव खोद हम डालेंगे , मंदिर उसमे निकालेंगे ।
सपथ तुम्हे श्रीराम की , अबकी बारी राम की ।
जो जन्म भूमि के काम ना आये , वो बेकार जवानी है ।
जो रक्त ना खौले इस पर भी, वो रक्त नहीं बस पानी है ।
राम लला हम आयेंगे , ढांचा सभी ढहायेंगे ।
मंदिर अबकी बनायेंगे , हम धर्म ध्वजा फहराएंगे ।
जो न्याय नहीं कर पाएंगे , हम उनको सबक सिखायेंगे ।
इतिहास के काले पन्नों को , हम केसरिया कर जायेंगे ।
तेरे नाम पर अपनी रोटी , सेंक सदा हम खायेंगे ।
भारत वर्ष को कैसे भी हम , हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे ।

अल्ला हो अकबर-अल्ला हो अकबर ,इस्लाम के काम हम आयेंगे ।
फतवा जारी करो इमाम , लड़ने हम सब जायेंगे ।
सूखी रोटी खायेंगे पर ,  हम मस्जिद वहीँ बनायेगे ।
आक्रमणकारी बाबर के , नाम को सदा बचायेंगे ।
क्या है साक्ष्य राम थे जन्मे , भारत वर्ष की भूमि में ।
हाँ बाबर निश्चित आया था , चढ़ भारत वर्ष के सीने पे ।
मंदिर बन गया अगर वहां , इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा ।
वो मर कर जन्नत पायेगा , जिहाद के काम जो आएगा ।
अगर बनी ना मस्जिद अपनी , खून खराबा हो जायेगा ।
कश्मीर से लेकर केरल तक , हर चप्पा-चप्पा थर्रायेगा ।
हमें ना समझो तुम कमजोर , पडोसी भाई भी आएगा ।
जो हमसे टकराएगा , वो दोजख में जायेगा ।
हँस कर लिया था पाकिस्तान , लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान ।
घास फूस जो खायेगा , वो क्या हमसे लड़ पायेगा ।
ये कैसे हो सकता है , सुलह करें हम काफ़िर से । 
कैसे माने उसे फैसला , जो ना हो मन माफिक से ।


प्रेम अहिंसा भाईचारा , कहो कैसे बचायेंगे पैगम्बर ।
नफरत के जब बीज बो रहे , सब धर्मो के आडम्बर ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

4 comments:

  1. bhai kamal kiya.
    thik samaya par diya.
    donon pakshon ko liya.
    sabako barabar jiyaa.
    magar nyaay kahan kiyaa?

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  2. कभी मैं भी ऐसी बातें करता था, कुदला लेके बाबरी पर सबसे आगे था मैं

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  3. bahut hi badiya, shreeman.
    aapki pratibha or dristi ki dad deni padegi

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  4. bahut accha lekhan hai. ekdam satik chot ki hai.kash dharam ke thekedaron ko saram aye.

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