28.9.10

सबका मशीहा बन चुका………………!


धरती पे शायद कुछ भी ऐसा नहीं जिस पर ऊँगली न उठाई जा सके लेकिन प्रतिसत में अंतर जरुर देखा और किया जा सकता है ऐसे में आज सबके जीवन में एक अभिन्न रूप धारण करती देश की मिडिया को भी तो लोग कई नज़रों से देखते ही है कुछ इसको सौ प्रतिशत से भी ऊपर श्रेणी में रखते है तो कुछ के नजर में ये प्वाईंट जीरो से भी कम………. लेकिन फिर भी कोई न कोई बात तो है ही की आज इसने सबके बिच एक जबरदस्त तरीके से अपनी प्रस्तुती की है और आज सबकी समस्याओ की घडी में मदद करने वाले एक मशीहा के रूप में उभरा कर हर समस्याओं के सामने खड़ा है जी हाँ देश के कुछ ही इलाके जो जरुरत से ज्यादा ही पिछड़े हैं यानि वंहा पर जीवन यापन करने वाले लोग जो किसी भी आधुनिक चीजो से कोसो दूर हैं को छोड़ कर आज शायद ही कोई ब्यक्ति ऐसा होगा जो इस शब्द यानि मिडिया से अपरचित हो,अब ऐसे में चाहे इसका कोई भी रूप हो(प्रिंट,इलेक्ट्रोनिक या वेब)हर छेत्रों में अपना ब्यापक विस्तार करते हुए देश की सेवा के लिए हमेशा ही आगे बढ़ कर कम किया है इसने! जी हाँ रोती आँखों को पोंछने की ललक वो चाहे किसी भी वर्ग की आँख हो, देश में घटित हो रहे अनेकों प्रकार की घटनाये चाहे वो रिश्वत से जुडी हों या फिर घोटाले या फिर अन्य अनेको मुद्दों को सबके सामने रख कर अंकुश लगाने का जूनून,तथा देश की हर जनता के साथ साथ देश को सुरछित करने की ललक ने ही शायद आज सबके नजरों के बिच एक जबरदस्त पहचान बनाया है इसका! जी हाँ बिना चुनाव ,बिना घोषदा पत्र,बिना किसी राजनितिक दल,बिना नेता,बिना वादा किये…………….अक्सर सूर्य के आग में तपतपा कर,अँधेरी रातों से लड़कर,बारिश के धार में नहाकर और माघ के शीतलहर में कांपते हुए…………….इस देश के गरीब या अमीर सभी तबके में जीवन यापन कर रहे लोंगो के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ने का संकल्प लेकर आज सबका मशीहा बन चुका है ये मिडिया का अनेको रूप! शायद इसको इतना लोकप्रिय बनाने में देश के वो चंद लोग है जो इसके नाम से ही जल आग बबूला हो जाते है इन्ही की लापरवाही से आज देश की जनता देश के कुछ प्रमुख विभाग जो विशेषतया जनता की सुरछा के लिए ही है जिनको सिर्फ जनता के सुरछा की जिम्मेदारी ही सौपी गयी है के पास अपनी समस्या को ले जाने से ज्यादा बेहतर मिडिया के पास जाना समझती है और अपनी पहली आवाज मिडिया को लगाती है क्यों,आखिर कहीं न कहीं तो इन विभागों द्वारा जनता को इतना परेशान और प्रताड़ित कर दिया जाता है तथा इसके बदले में दूसरी तरफ कहीं न कही ये मिडिया जनता के लिए आगे आती है तभी तो……….अब ऐसे में मजे की बात तो ये है की अगर देश में मिडिया इतनी सक्रिया नहीं होती तो इस देश का क्या होता शायद अंदाजा लगाना मुश्किल है…..आज इसी मिडिया के द्वारा जनता की समस्याओं को मुद्दा बनाकर खबर का रूप देकर टी वी और पुरे देश में फैले बड़े छोटे सभी अख़बारों,और पता नहीं अनेको माध्यमों से जनता के सामने लाकर इन विभागों में कुर्सी प्रिय आशीन कर्मचारियों से काम करवाने पर मजबूर किया जाता है और शायद आज इसी मिडिया के द्वारा इंसाफ दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ साथ उन बे खौफ विभागों और कर्मचारियों के दिलों में जनता की समस्याओं के प्रति लगन से काम करने का पाठ भी पढाया है जो कुर्शी को अपनी जागीर समझते हैं! आज लगभग सभी विभाग मिडिया शब्द से ही भन्ना जाते है वो इसकी बढती लोकप्रियता से खिन्न हो जाते है लेकिन इसकी देन भी तो वो स्वयं ही है,शायद ये विभागीय कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी में से पचास प्रतिशत भी लगन दिखाते तो शायद जनता के दिलों पर इनका राज होता और मिडिया इतनी लोकप्रिय नहीं होती और इसको उनके हर काम में दखलंदाजी की जरुरत भी नही पड़ती!……….आखिर वो कुछ विभागीय कर्मचारी इतने निर्लज्ज क्यों है जो हर काम में मिडिया के हस्तछेप का ही इंतजार करते रहते है और बिना इसकी लताड़ सुने उनकी पलक ही नहीं खुलती तथा मिडिया की सुर्खिया बनते हैं,अब या तो उनको सुर्खिया बनाना पसंद हो या फिर अपने आदत से मजबूर……………… शायद मिडिया भी इनको इस तरह से सुर्ख़ियों में लाकर लज्जित ही होती होगी की ये इस देश के कर्मचारी हैं और कहीं न कहीं मिडिया को न चाहते हुए भी इनको सुर्खी बना कर पेश करना, ही पड़ता है शायद यही लोग कुछ बेहतर कर सुर्खिया बनते या ये सुर्खिया किसी बेहतर ब्यक्तित्व के लिए होती है तो मिडिया को भी इसे पेश करने में अपार ख़ुशी मिलती और जनता के लिए कुछ और बेहतर कर सकती…………………….

2 comments:

  1. अच्छी पोस्ट है...मीडिया किस समय कौन से मूड में होता है...कहा नहीं जा सकता..लेकिन उसका मुख्य काम खबरों पर नमक-मिर्च क्या चाट मसाला छिड़ककर अपनी टीआरपी बढ़ाना है...एक सुधार कर लीजिए...
    आपका आशय शायद मसीहा ही से है... मशीहा नहीं......मसीहा होता है...

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  2. baat kafi ya kuch had tak sahi he, aam aadmi ki bat to media kehta hi he, isme koi shaq nhi, aur bhai dukaandari bhi to chalani he na is mehgai ke jamame me, khali samaaj seva sa kam nhi chalta na, media kya kare..... isiliye log media ki bhumikapar ungli uthate hain.

    britennea 50-50 kurkure/swadisht/ kai bar out-of date...

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