भोर की पहली किरण से ,शाम डूबने तक
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
हर शब्द तुम्ही से अर्थ रखे ..
तुम बिन दुनिया सब व्यर्थ लगे ,...
तेरा ही तो दिन छाडे ,जो उतारे तेरी रात है
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
तुझ संग मरना आसानी है .तुम बिन जीना बेमानी है
ये बात न दुनिया समझेगी ..ये सब उसकी नादानी है
क़त्ल हुए , ये चूर हो गए ...कितने ही जज़्बात है
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
निखिल
im.nikhhil@gmail.com
09648936083
Kaphi acchi post
ReplyDeleteहर शब्द तुम्ही से अर्थ रखे ..
ReplyDeleteआपकी रचना के शब्द भी बहुत अर्थपूर्ण और भावप्रधान है।
सुंदर कविता......
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!