30.10.10



जिन्ना विवाद ने मुझे हिला दिया था'
26 Mar 2008, 2203 hrs IST,नवभारत टाइम्स  


धनंजय

नई दिल्ली : बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपने राजनीतिक जीवन में लंबे समय तक मन की शांति व परिवार के लोगों के बीच रहने के सुख से वंचित रहना पड़ा। उनके जीवन को अर्थ तो मिला लेकिन वह खुशी नहीं मिली जो परिवार के साथ रहकर मिलती है। आडवाणी ने अपने मन की यह बात अपनी आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' के जिन्ना प्रसंग से संबधित चैप्टर 'आई हैव नो रेगरेट्स' में कही है। लेकिन उनकी यह व्यथा कथा उनकी किताब के उस चैप्टर से मेल नहीं खाती जिसमें उन्होंने लिखा है कि उन्होंने अंग्रेजी के उस चर्चित लेखक को गलत साबित कर दिया है जिसने लिखा है कि आप जीवन में सार्थकता व पारिवारिक खुशी, दोनों में से एक ही प्राप्त कर सकते हैं। मुझे अपने जीवन में दोनों चीजें एक साथ मिलीं।

जिन्ना से जुड़े प्रसंग वाले चैप्टर में आडवाणी ने विवाद के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अपनी व्यथा का जिक्र किया है। आडवाणी ने लिखा है कि इस विवाद ने मुझे अंदर से हिला दिया था। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि मैं इस स्थिति में क्या करूं। मैं मानसिक आघात के जिस दौर से गुजर रहा था उसमें मैं अक्सर सोचता कि क्या अब वह वक्त आ गया है जब मुझे पारिवारिक जीवन की उस शांति और आराम को अपना लेना चाहिए जिससे मैं लंबे समय से वंचित रहा हूं। इस चैप्टर में उन्होंने अपनी तुलना युद्ध के मैदान में ऊहापोह के भंवर में फंसे अर्जुन से किया है। लेकिन मेरे मन में जब-जब पलायन का भाव आता मुझे कृष्ण द्वारा अर्जुन को कहे हुए शब्द याद आ जाते। जिन्ना चैप्टर में उन्होंने यह संकेत दिया है कि इस विवाद के बाद जो हुआ उसने उन्हें मनोवैज्ञानिक स्तर पर अंदर से तोड़ कर रख दिया था।

लालकृष्ण आडवानी

 

 

 

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