15.10.10

सीबीआई के फंदे में ‘बड़ी मछली’ खुलने लगी खुफिया एजेंसियों की नींद

सीबीआई के फंदे में ‘बड़ी मछली’
खुलने लगी खुफिया एजेंसियों की नींद
राजेंद्र जोशी
देहरादून । बाबुओं और छोटे इंजीनियरों जैसी छोटी मछलियों की धर पकड़ करने में माहिर सतर्कता विभाग को सीबीआई ने बुधवार को आईना दिखा दिया। एनपीसीसी के ज्वाइंट मैनेजर को सीबीआई की टीम ने रिश्वत लेते न केवल रंगे हाथों पकड़ा बल्कि इंजीनियर के नाम लाखों की बेनामी संपत्ति का भी खुलासा किया है। इस अधिकारी के पकड़े जाने के बाद राज्य में पनप रहे भ्रष्टाचार की एक और परत उधड़ गयी है।
बुधवार देर रात राजधानी देहरादून में सीबीआई की टीम ने नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन के ज्वाइंट मैनेजर एस के शर्मा को सीबीआई की टीम ने नेहरू कालोनी स्थित उनके कार्यालय मेें 15 लाख रूपये नगद रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। इतना ही नहीं सीबीआई अब तक उनके देहरादून तथा गाजियाबाद स्थित घरों से लगभग 65 लाख रूपये की धनराशि अपने कब्जे में ले चुकी है। इतना ही नही शर्मा के बैंक लाकर से सीबीआई को 20 लाख रूपये नकद व छह लाख रूपये कीमत के सोने के बिस्किट भी मिले है वहीं एक 16 लाख की लक्सरी कार भी मिली है। शर्मा यह धनराशि महाराष्ट्र की पटेल इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारियों से ले रहे थे। उत्तराखंड में रिश्वतखोरी अथवा भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सतर्कता विभाग सैकड़ों कर्मचारियों को रंगे हाथों रिष्वत लेते हुए दबोच चुका है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम के सीएमडी योगेन्द्र प्रसाद की बेसुमार दौलत के खुलासे की घटना अभी भी ताजा है और इस पर अभी जांच चल रही है। सरकारी नौकरी में रहते हुए योगेन्द्र प्रसाद ने सरकारी धनराशि की किस तरह खुली लूट की, यह प्रदेश की जनता ने टेलीवीजन तथा समाचार पत्रों के माध्यम से बखूबी देखा। एक अधिकारी के पास रजवाड़ों जैसा महल तथा उसमें पाले गये कई प्रकार के विदेशी पशु-पक्षियों से पता चलता है कि प्रदेश वासियों की कमाई का पैसा कहां ठूंसा जा रहा है। योगेन्द्र प्रसाद तथा एस के शर्मा के पास से बरामद अकूत संपत्ति के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आखिर केंद्र तथा राज्य के अधिकारी किस हद तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। भ्रष्टाचारी अधिकारियों के बारे में सरकार सब कुछ जानती है लेकिन सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति तथा लचीलेपन का फायदा उठाकर अधिकारी खुलेआम लूट मचा रहे हैं।
सीबीआई द्वारा पकड़े गये असिस्टंेट जोनल मैनेजर एसके शर्मा हिमाचल जम्मू-कष्मीर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माणकार्य का ठेका दिलाये जाने की एवज में अपना कमीशन ले रहे थे। आपको बता दें कि उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में अधिकारियों का कमीशन घोषित है इसे रिश्वतखोरी जैसे जुर्म से खुलेआम सरकार ने अलग कर रखा है। कमीशन की लूट का आलम यह है कि लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारों से अधिकारी 40 तथा सिंचाई विभाग में 50 प्रतिशत की रिश्वत खुलेआम ली जा रही है। बताना जरूरी न होगा कि कुल निर्माण कार्य के लिए स्वीकृत धनराशि में से आधी धनराशि का बंटवारा महकमे के बाबू से लेकर सरकार के प्रमुख तक होता है। राज्य में लोक निर्माण विभाग द्वारा किये जाने वाले कार्यों में मंत्री, विधायक तथा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का अपना हिस्सा तय होता है। जनप्रतिनिधि अपने चहेते इंजीनियरों को कमाऊ साइटों पर तैनात कर अपनी जेबों को गर्म करते हैं। राजनेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण ही अधिकारियों को भी शह मिल रही है। ऐसे में अधिकारी खुलकर सरकारी पैसे को खुद के उपयोग मंे ला रहे हैं। लेकिन भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए तैनात की गई ऐजेंसियों की नींद खुलने के बाद अब भ्रष्ट अफसरों नींद हराम होती दिख रही है।

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