अखिलेश उपाध्याय
स्त्रियों के ऐसे अनेक व्रत और त्यौहार होते है जिनमे दिनभर उपवास के बाद रात्रि में जब चन्द्रमाँ उदय होता है तब अर्ध्य देकर तथा विधिवत उसकी पूजा करने के उपरांत ही वे अन्न जल ग्रहण करती है. कई व्रत एवं त्योहारों में चंद्र्र्मा की पूजा अर्चना क्यों की जाती है इसका कारण बताते हुए ज्योतिर्विद पंडित इन्द्र पाल शास्त्री ने बताया की शास्तानुसार सौभाग्य, पुत्र, धन-धान्य , पति की रक्षा एवं संकट टालने के लिए चंद्रमा की पूजा की जाती है. करवाचौथ का व्रत सुहागिन स्तरीय अपने अखंड सुहाग और पति के स्वस्थ व दीर्घायु होने की मंगल कामना हेतु करती है.
चंद्रमा के पूजन से होते सभी कष्ट दूर
उन्होंने बताया की छन्दोग्य उपनिषद के चौथे प्रपाठक के बारहवे खंड में कहा गया है की जो चन्द्रमा में पुरुष रुपी ब्रह्म को इस प्रकार जानकार उसकी उपासना करता है वह उज्जवल जीवन व्यतीत करता है, उसके सारे कष्ट दूर होते है सारे पापकर्म नष्ट हो जाते है. वह लम्बी और पूर्ण आयु पाता है. उसके वंशज भी इसी फल को पते है.
ऐसे करे पूजा
चन्द्रमा मन का देवता है और मन की चंचलता को नियंत्रित करता है. हमारे शरीर में दोनों ध्रुवो के मध्य मस्तक प्रधान माना गया है. यहाँ पर रोली, चन्दन आदि का टीकाऔर विंदी लगाईं जाती है जो चंद्रमा को प्रसन्न करनियंत्रण करती है.
क्या है पुराणों में वर्णन
कथा के अनुसार चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की कन्याओं से हुआ था जब चंद्रमा ने दक्ष की बेटियों पर पूरा ध्यान नहीं दिया तो वे नाराज होकर अपने पिता के पास पहुची. दक्ष ने क्रोधित होकर चंद्रमा को क्षय रोग से पीड़ित होने का शाप दे दिया. चन्द्रमा ने शिव से प्रार्थना कर उन्हें प्रसन्न किया. शिवजी ने उन्हें अपने मस्तक पर ले लिया शिवजी विष्णु भगवान के पास पहुचे. उन्हेंने चन्द्र के दो रूप कर दिए, एक को दक्ष कोसौप दिया, दूसरा शिव्जे के मस्तक पर बैठा दिया.
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