अखिलेश उपाध्याय / कटनी
हर दिन खुलेआम पेट्रोल पम्प उपभोक्ताओं को शहर में लाखो रूपये का चूना लगा रहे है. उपभोक्ता मीटर सेट करवाकर पेट्रोल डलवा लेता है बावजूद इसके अंकगणित के हिसाब से उसे 2 से 5 पैसे का पेट्रोल कम दिया जाता है. एक पेट्रोल पम्प पर औसतन पांच हजार से अधिक वाहन आते है ऐसे में प्रतिदिन एक से सवा लाख रूपये प्रति पम्प अलग से कमाई हो रही है. खरीदी से अधिक बिक्री हो रही है, वही पेट्रोल पम्पो पर सौ में से पांच ग्राहक ही बिल लेते है. ऐसे में वैट का सही आकलन करना भी मुस्किल होता है.
नापतौल विभाग के अनुसार मिलीलीटर में कम पेट्रोल देने के मामले में अभी तक किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है. सच्ची बात तो यह है की पेट्रोल पम्प मालिक एक माह में दो से चार लाख लीटर पेट्रोल मगवाते है, वही दूसरी ओर सेल्स का आकड़ा कंपनी द्वारा सप्लाई का आकड़ा का कंपनी द्वारा सप्लाई किये गए पेट्रोल से अधिक होता है.
नहीं होती कार्यवाही
पेट्रोल पम्पो पर अभी तक केवल मिलावट में ही कार्यवाही की गई है. कम पेट्रोल डालने अथवा कम मिलीमीटर होने पर अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही विभाग ने नहीं की है.
आकलन मुश्किल
पेट्रोल पम्पो पर मशीन द्वारा सेट करने के बावजूद पांच पैसे से दस पैसे का पेट्रोल कम दिया जाता है इस तरह प्रति माह लाखो का खेल हो जाता है. हर व्यक्ति बिल नहीं लेता है इससे वादिज्यकर विभाग को खरीदी और बिक्री का आकलन करना मुश्किल होता है. वरिष्ठ निरीक्षक नापतौल के मुताबिक हर एक पेट्रोल पम्पो की मशीनों को प्रति वर्ष जाचा जाता है इन मशीनों को शील भी विभाग द्वारा ही किया जाता है. विभाग का कहना है की ऐसी शिकायत आने पर कार्यवाही करेगे.
ऐसे होता है गणित
शहर में टू व्हीलर सबसे अधिक है. वही यदि आम आदमी पेट्रोल भरवाने जाता है तो वो राउंड फिगर में ही पेट्रोल भरवाता है. मसलन 20 , 30 , 50 , 100 ,२०० और 300 रूपये. यू तो पेट्रोल पम्प पर सेल्स में बताये गए अमाउंट से कम पैसे का ही पेट्रोल डालते है यदि कोई उपभोक्ता मशीन पर सेट भी करवा ले तो भी उसे कम पेट्रोल ही मिलता है.
सेट करवाने पर भी कम
पेट्रोल पम्प के भाव प्रति लीटर पेट्रोल 56 .60 पैसे है इस हिसाब से 20 , 30 और 50 पर क्रमशः 35 .34 , 53 .01 और 88 .34 पॉइंट पेट्रोल दिया जाना चाहिए लेकिन वास्तविकता में 35 , 53 और 88 पॉइंट ही पेट्रोल दिया जाता है. इस हिसाब से मिलीलीटर को राईटआफ कर दिया जाता है.
पुराने तर्ज की मशीने
आयल कंपनिया ही मशीने लगवाती है लेकिन कटनी जिले में तो पुराने ढर्रे की मशीने लगी है जिनमे तो और भी गड़बड़ घोटाला किया जाता है. लाईट गोल हो जाने के बाद यहाँ के पेट्रोल पम्पो
पर जनरेटर भी नहीं चलाये जाते ऐसे में हाथ से घुमाकर पेट्रोल देने में तो और भी जमकर उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है.
No comments:
Post a Comment