उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा पर निशंक ले रही अपने विधायको की मास्टर क्लास
आपदा पीड़ित हर गांव-घर तक मदद पहुंचाने खुद जा रहे है-डॉ.निशंक
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पिछले दिनों उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा का भंयकर चेहरा पूरी दुनिया ने देखा। निश्चित तौर पर इस आपदा के चलते उत्तराखंड अपनी विकास यात्रा में कई वर्ष पिछे चला गया। जिसको फिर से अपने ढरे पर लाने के लिए हम सबको इस यात्रा को हर कदम पर एक नयी जीवन यात्रा देनी होगी। ताकि इसके विकास के साथ अंतिम छौर पर खड़े व्यक्ति और गांव का विकास भी हो सके। इसी यात्रा को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' भी रात-दिन अपने पूरे शासन-प्रशासन को लेकर लगे है। जिसमें निश्चित तौर पर उन्हें सफलता भी मिल रही है। और राज्य के हर आपदा ग्रस्त गांव-घर से निशंक के इस प्रतिफल की आवाज़ भी साफ-साफ सुनायी दे रही है।
पिछले दिनों दिल्ली में एक नीजी समारोह के दौरान मेरी मुलाकात वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी से हुई। जो स्वयम् भी उत्तराखंड में आयी इस दैवीय आपदा से निपटने के लिए केंद्र सरकार से राहत पैकज जारी करने के लिए प्रधानमंत्री से मिले थे। जब हमने श्री आडवाणी से उत्तराखंड में आयी आपदा पर कांग्रेस की बयानबाजी और डॉ.निशंक के आपदा से निपटने की कार्यकुशलता के बारे में बातचीत की तो,आडवाणी ने कहां कि 'कांग्रेस का काम किसी भी आपदा में सिर्फ और सिर्फ राजनिति करना है। उसे आम जनमानस के दुःखों पर राजनैतिक रोटियां सेकने के अलावा और करना भी क्या है। जब हम श्री आडवाणी से राज्य सरकार की आपदा से निपटने की योजना के बारे में पुछा तो,उनका कहना था कि आज राज्य की डोर युवाओं के हाथों में और यह सब जानते ही नहीं देख भी रहे हैं कि डॉ.निशंक इस दैवीया आपदा से लेकर किस तरह से आम जनता के साथ खड़े है। उन्हें आप पहाड़ के हर आपदा ग्रस्त गांव-घर में हर वक्त देख सकते है। वह पहाड़ का दर्द समझते है। उनकी परेशानियों को अच्छी तरह जानते है। आज पूरी दुनिया उत्तराखंड की परेशानियों को देख रही है। लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री निशंक अपने राज्य को इस दैवीय आपदा की आगोश से निकालने में लगे है। यह बहुत बड़ी बात है। मेरा तो सभी पार्टियों से निवेदन है कि वह फालतु की बयानबाजी की बजाया डॉ.निशंक के साथ खड़े होकर पहाड़ की जनता के हित की बात करें,उन्हें इस आपदा से बहार निकालने में ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें'।
यकीनन आज देश की हर एक व्यक्ति की यह सोच है। खुद डॉ.निशंक ने भी लोग से अपील की हैं कि आप इस समय राजनिति नहीं,बल्कि इस आपदा से ग्रस्त हुए लोगों की मदद के लिए आगे आएं। लेकिन कांग्रेस के नेता आपदा राहत को लेकर बयानबाजी न करने से कहा बाज़ आ रहे है। वह भी तब जब की केंद्र नेतृत्व इन्हें गलत बयानबाजी न करने की चेतावनी दे चुका हो। डॉ.निशंक बार-बार उत्तराखंड ही बल्कि देश की पार्टियों से निवेदन कर रहे हैं कि विपदा की घड़ी में राजनीति के बजाय पीड़ितों की मदद ही सबका लक्ष्य होना चाहिए। लेकिन आपदा राहत राशि का रोना बार-बार रो रही है। इस बारे में मुख्यमंत्री,कांग्रेस के आपदा राहत को मिली केंद्रीय राशि के बंदरबाट के आरोपों को खारिज कर चुके है। डॉ.निशंक का कहना कि केंद्र हर राज्य को आपदा के वक्त आपदा निधि के अलावा अतिरिक्त मदद करता है। केंद्र में बैठी सरकार किसी व्यक्ति विशेष या किसी खास राज्य की मदद के लिए नहीं बनी है। हम स्वयम् राज्य के हर गांव-घर जाकर आपदा से ग्रस्त लोगों को मदद पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रहे है।
निश्चित तौर पर डॉ.निशंक स्वयम् और अपने अधिकारियों के माध्यम से हर दिन उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा से ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर रहे है और विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों देहारदून में अपने मंत्रिमण्डल के सभी सदस्यों,प्रदेश प्रभारी भाजपा,प्रदेश अध्यक्ष भाजपा और संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों की मास्टर क्लास ली,जिसमें दैवीय आपदा से उत्तपन्न स्थिति से निपटने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने की पूर जोर दिया गया। इस मास्टर क्लास में मंत्रिमण्डल के सदस्यों तथा विभिन्न जनपदों से आये संगठन के पदाधिकारियों ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान की जानकारी मुख्यमंत्री को दी। इसके बाद डॉ.निशंक ने अपने हर सहयोगी को निर्देश दिया ही हमारी पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए की किस प्रकार से प्रभावितों को अधिक से अधिक रहात पहुंचायी जाए और उनका पुनर्वास किया जाए। डॉ.निशंक ने इस मौके कहा कि दैवीय आपदा के समय हमने जिस तरह से आम आदमी के जीवन को बचाने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कार्य किया था। ठीक उसी तरह से अब हमें उनके स्थायी पुनर्वास और अन्य अवस्थापना सुविधाओं के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के लिए काम पर आज से जुट जाना है। इसके लिए हम शीघ्र सर्वदलीय बैठक भी आयोजित कर रहे है। जिसमें इस मुददे को रखा जाएगा। लेकिन इन तमाम मुद्दों के साथ हमें तत्काल फौरी तौर पर राहत कार्य जो इस समय आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में चल रहे है। उन्हें भी देखने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड में आयी इस दैवीय आपदा के लेकर मुख्यमंत्री निशंक ने हाल ही में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह तथा केंद्रीय गृहमंत्री से प्रदेश में दैवीय आपदा राहत कार्यों के संबंध में विस्तार से चर्चा की जिसके बाद प्रधानमंत्री ने शीघ्र ही केंद्रीय कृषि नगर खाद्य एवं वन मंत्रियों के साथ उनकी बैठक कराने का आश्वालन दिया। इसी के साथ मुख्यमंत्री निशंक ने प्रधानमंत्री से 21.200 करोड़ रुपये की धनराशि तत्काल उत्तराखंड को देने की बात भी कहीं,जिस पर प्रधानमंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया है। साथ ही डॉ.निशंक ने प्रधानमंत्री से एन.डी.आर.एफ.की एक बटालियन राज्य में तैनात करने का अनुराध भी किया है। डॉ.निशंक ने प्रधानमंत्री से समक्ष टिहरी बांध परियोजना में उत्पादन का 25 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को दिलवाये जाने तथा पुनर्गठन एक्ट के अनुसार टिहरी बांध से उत्पादित विद्युत में से 250 मेगावाट विद्युत तथा 25 प्रतिशत लाभांश उत्तराखंड को दिए जाने की बात भी की। साथ ही संवेदनशील चिन्हित 250 गांवों में पुनर्वासन हेतु भी प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है। गांवों की पुनर्वासन हेतु वन भूमि उपलब्ध कराने की पेशकश भी डॉ.निशंक ने की,जिसे प्रधानमंत्री द्वारा सिंद्धात रूप से स्वीकार किया।
लेकिन इन सब चीजों से अलग डॉ.निशंक ने अपने सभी सहयोगियों के साथ उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा से ग्रस्त गांवों,लोगों के जीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिए हर संभव मदद करने की अपील ही है,ताकि विकास की यात्रा फिर से पहाड़ों में चलने लगे और हर व्यक्ति अपने जीवन स्तर को एक नयी सोच के साथ जीने का हकदार बने। जिसके लिए डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' खुद अपने स्तर और अपने शासन-प्रशान स्तर पर प्रदेश की जनता के साथ खड़े है।
जगमोहन 'आज़ाद'
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