जिंदगी में कोई दो मिनट मेरे पास न बैठा
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे है.
कोई तोहफा न मिला आजतक मुझे.
और आज फूल ही फूल दिए जा रहे है.
तरस गए हम किसी के हाथ से दिए वो छोटे से रुमाल को
और आज मुझे नए नए कपडे दिए जा रहे है..
कल तक कभी गुलाब का एक फूल तक न मिला
और आज केवड़े जल और इत्र से नहलाते जा रहे है
.दो कदम साथ न चलने को तैयार था कोई
और आज काफिला बनाकर सब चले जा रहे है.
आज सपने में पता चला कि मौत इतनी हसीन होती है.
और कमबख्त हम तो युही रोते हुए जिए जा रहे है.
रात में सोते वक्त सपने में अपनी मौत देखा. मौत के बाद के कुछ पलो तक मै यही सोचता रहा.
रात में सोते वक्त सपने में अपनी मौत देखा. मौत के बाद के कुछ पलो तक मै यही सोचता रहा.
सच है ज़िंदगी से भी
ReplyDeletehttp://voi-2.blogspot.com/2010/10/blog-post_10.html
ReplyDeleteyaaaar tumko itnay BADIA SE THOUGHT AAAAAATAY KHA SE HAI?????????????????
ReplyDeletemot ka mzaa jis andaaz men pesh kiya he bhayai ab to mr jane ko ji chahta he. akhtar khan akela kota rajthnan
ReplyDeleteधन्यवाद ....गिरीश जी , अख्तर जी.
ReplyDeleteआपने तो हकीकत बयाँ कर दी……………यही तो सच है।
ReplyDeleteबढिया गज़ल..
ReplyDeleteदो कदम साथ न चलने को तैयार था कोई
ReplyDeleteऔर आज काफिला बनाकर सब चले जा रहे है.
Jindgi ki sachai ko kitni khubsurti ke saath pesh kiya hai aapne ,
ek-ek shabad main jaan hai ,
arth sampreshan ke liye sarthak shabdon ka chayan...!
Bahut khub
आप सबको तह-ए-दिल से शुक्रिया....यही प्यार बनाये रखियेगा..
ReplyDeleteउफ़ ! ये क्या लिखा है आपने .....एक कड़वा और शास्वत सत्य बखूबी बयान किया !
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