4.10.10

......बहुत दिन बीते.......



वन्दे मातरम दोस्तों,

......बहुत दिन बीते.......

थाली मैं दाल को आये हुए,
पत्नी को हरी सब्जी बनाये हुए,
खाने मै सलाद को खाए हुए,
......बहुत दिन बीते.......

रोटी का साथ देखो मक्खन ने छोड़ा,
दूध की खातिर बिटिया का दिल तोडा,
रोटी पे मक्खन लगाये हुए,
बिटिया को दूध पिलाये हुए,
साथ मैं बिस्कुट खिलाये हुए,
......बहुत दिन बीते.......

बच्चों को दिलाने गये जो कपड़े,
महगाई ने हाथ दोनों ही पकड़े,
प्रेरणा को फ्राक दिलाये हुए,
पारस को अचकन सिलाये हुए,
नंगे पैरों को जूते पहनाये हुए,
......बहुत दिन बीते.......

दोस्तों को हमसे शिकायत ये आम है,
मिलते नही प्यारे क्या इतना काम है,
दोस्तों को घर पर बुलाये हुए,
दोस्तों के घर खुद भी जाये हुए,
मिल जुल के पार्टी मनाये हुए,
......बहुत दिन बीते.......

त्योहारों की रंगत अब हो गई फीकी,
महगाई से हमने बात ये है सीखी,
ईद की सिवैयां खाए हुए,
दिवाली की मिठाई भिजवाये हुए,
किरिश्मश पे गिफ्ट दिलाये हुए,
.....बहुत दिन बीते.......

मैं जब तक नेताओं की बात नही कर लेता मेरे पेट का दर्द ठीक नही होता है ( ऐसा नही की सारे नेता ही खराब हैं मगर बहुतायत तो भ्रष्ट व अपराधिक टाइप के नेताओं का ही है ) सो उन भ्रष्ट नेताओं के लिए कुछ पंक्तियाँ..........

हम करते हैं जब भी दिखावा ही करते,
देश की हालत से फर्क हमको नही पड़ते,
गणतन्त्र दिल से मनाये हुए,
राष्ट्र गान वास्तव मैं गाये हुए,
सचमुच दिल से तिरंगा फहराए हुए,
......बहुत दिन बीते.......

जय हिंद दोस्तों

8 comments:

  1. Bahut hi badhiya Rakesh bhai....

    aaj ke haalat ka sundar aur marmsparshi chitran.

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  2. mazaa aa gaya.........

    bahut khoob.....

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  3. वाह आज तो बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है…………सच को बयाँ कर दिया और वो भी बेहद संजीदगी से।

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  4. वन्दे मातरम बन्धुओं,
    दीपक जी, मनीष जी, वन्दना जी आपका धन्यवाद ....... हमारे आस पास ढेरों समस्याएं बिखरी हैं ....... उन्ही मैं से कुछ को चित्रण करने का एक छोटा सा प्रयास है मेरा.....

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  5. सटीक चित्रण। बधाई।

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  6. वाहा ! राकेश जी
    बिलकुल सही चित्रण है इस महंगाई का . लगता है आपका भी गांव से नाता है . हकीकत इससे भी बुरी है .
    अब रब हुआ है मेहरबान कुछ तो मेलेगी महंगाई से अब राहत.
    शुक्रिया , धन्यवाद .

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  7. आप इजाजत दें तो में इस कविता को अपने अख़बार "थार एक्सप्रेस " में प्रकाशित करना चाहता हूँ.
    धन्यवाद

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  8. निर्मला जी, loon karan chhajer ji आपका धन्यवाद,
    loon karan chhajer जी आप अवश्य इसे अपने पेपर मै जगह दें, साथ ही अगर सम्भव हो तो इस अखवार की एक कापी मुझे सेंड कर दें

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