यूँ ही टहलते अचानक ,
नज़र पड़ी आसमान पर ,
देख चाँद को मन मुस्काया ,
और देखा इक सितारा,
चमकता हुआ,
जो उस चाँद के पास था बहुत,
कहा दिल ने मेरे,
चाँद की नजदीकी के अहसास से,
कितना तेज हे ,
इस सितारे में,
तब...............
सितारा 'वो' बोला चुपके से मेरेकान में ,
ना...............
मत सोच तू ऐसा ,
जो दिखता हूँ तुझे पास इतना ,
मुझसे पूछ ,
की हकीकत में हूँ मे दूर कितना ,
में हूँ दूर कितना /अपने चाँद से।
अपने चाँद से ...............
संगीता मोदी "शमा"
yad dila gayee"chand ke pas jo sitara hai wo sitara haseen lagta hai"kavita achhi lagi.sangeeta jee best of luck.
ReplyDeletethanx shalini ji
ReplyDeleteवो गाना याद आ गया…………चाँद के पास जो सितारा है वो ह्सीन लगता है………………बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteअच्छी लगी कविता। धन्यवाद।
ReplyDeleteवाह-२ , क्या बेबकूफ़ बनाया(?) , फेस बुक पे हिंगलिश , लेकिन खोज़ है लिया ना ??
ReplyDeleteवाकई खूब सूरत रचना है , बधाई कबूल करे , आयेज भी ऐसी रचनाएँ मिलेगी इसी उम्मीद के साथ........
वाह-२ , क्या बेबकूफ़ बनाया(?) , फेस बुक पे हिंगलिश , लेकिन खोज़ है लिया ना ??
ReplyDeleteवाकई खूब सूरत रचना है , बधाई कबूल करे , आयेज भी ऐसी रचनाएँ मिलेगी इसी उम्मीद के साथ........