25.11.10

खंडूड़ी जी-कोश्यारी जी अब कुर्सी नहीं..'हरी भजन' में मन लगाए
बाबा रामदेव के बयान मामले में अपने ही बयानों से उलझ गए खंडूड़ी

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कहां जाता हैं कि किसी भी कुनवे का बड़ा-बुर्जग अपने कुनवे को संभालने-सवारने में जो भूमिका निभा सकता है। यह भूमिका शायद ही कोई दूसरा निभा सकें,बड़े-बुर्जग परिवार की नींव को जिस तरह से मजबूत कर सकते है। उसकी कामना किसी दूसरे से तो कतई नहीं की जा सकती है। लेकिन आज उत्तराखंड में इसका ठीक उल्टा हो रहा है। यहां के राजनैतिक परिवेश में बड़े बुर्जग ही यहां की नीव को हिलाने के काम लगे है। इस छोटे से राज्य की बागडोर अभी तक जिन बुर्जगों के हाथों में रही,फिर चाहे वह कांग्रेस हो,या बीजेपी इन्होंने किसी न किसी तरह खुद के हितों के लिए इस राज्य के जनमानस को हमेशा से भ्रमित किया और खुद की राजनैतिक रोटियां सेकते हुए,पहाड़ को पहाड़ नहीं रहने दिया और यहां के युवा से लेकर नौजवानों तक सब को भ्रमित कर उन्हीं के सम्मान से उन्हें ही को बदनाम कर राज्य का बंटाधार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।
आज जब इन तमाम बंटाधारियों से किनारा कर राज्य के बागडोर एक युवा मुख्यमंत्री के हाथों में दी गयी तो। इन बुर्जगों ने उसे भी चैन से काम नहीं करने दिया और ना ही करने दे रहे है। यह आज किसी से छुपा नहीं है की भगत सिंह कोश्यारी और भुवन चंद्र खंडूड़ी आज जिस तरह से उत्तराखंड में खुद और अपने चहेतों के माध्यम से राज्य सरकार पर जिस तरह से किचड़ उछालने में लगे है। उससे साफ हो जाता हैं कि यह लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सैकने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करना चाहाते है। यह चाहते ही नहीं है की राज्य का विकास हो,राज्य के लोगों के काम हो,युवाओं को नौकरी करने को मिले। यदि ऐसा नहीं होता तो,यह लोग रोज-रोज राज्य सरकार खा़स तौर पर रमेश पोखरियाल 'निशंक' के खिलाफ और बीजेपी में रहकर बीजेपी के खिलाफ गलत बयान बाजी नहीं करते है।
आज पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार का बोल-बाला है,यह कौन नहीं जानता है। भारत की बात की जाएं तो,यहां कोई नेता या सरकारी तंत्र ऐसा नहीं हैं,जिससे भ्रष्टाचार की भू नहीं होता हो। खंड़ूड़ी-कोश्यारी भी किसी तरह से दूध के धुले नहीं हैं। उत्तराखंड का जनमानस यह अच्छी तरह जानता है। कांग्रेस के बात की जाएं तो कांग्रेस कितनी साफ-सुथरी हैं,यह वह खुद जानते है। जिनके ऊपर आज भी भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं,फिर चाहे वह हरक सिंह रावत हो या कांग्रेस का कोई दूसरा नाम आज कोई दूध का धुला नहीं है। इसके बावजूद यह लोग रोज देहरादून में हो-हल्ला मचाते हैं,और हर दिन सरकार के काम-काज में बाधा डालते है। ऐसे में नुकसान किस का हो रहा हैं,आम आदमी का,इनकी अंदरूनी लड़ाई में पिस रही है,राज्य की जनता,लेकिन इन दिग्गजों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि इन्हें शर्म तो आती नहीं,और फिर खुद की राजनीति भी तो चमकानी है। तभी तो खंडूड़ी और कोश्यारी जी जैसे बड़े नाम हरि भजन करने की उम्र में भी कुर्सी की लड़ाई में हमेशा शामिल रहते है। इन की सोच आज भी यह बनी हैं कि यह किसी भी किमत पर हर हाल में कुर्सी पर काबिज होना चाहते है। तभी तो यह हर रोज अपने चम्चों के माध्यम से एक बाद एक अफवाएं फैलाते हैं,बस सरकार गयी अब बदलाव का समय आ गया है। कुछ मठाधिश पंडतों से राज-पाठ की तारीख भी तय करवा देते हैं और जो व्यक्ति पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रहा हैं,उसे काम करने का मौका ही नहीं देते है। फिर कहते हैं राज्य में विकास नहीं हो रहा है। कोई इनसे पूछे की विकास करने में या विकास के मार्ग में पर चलने में इनकी खुद की क्या भूमिका हैं,जरा ये बताएं तो सही...।
भुवन चंद्र खंडूड़ी और भगत सिंह कोश्यारी आज उत्तराखंड में अपने कार्यकर्ताओं के साथ अभियान चला रहे हैं कि वह बीजेपी के सम्मानित सिपाई हैं। और वह अपना काम पूर्ण कर रहे है। लेकिन इनके इधर के क्रिया कलापों पर यदि थोड़ा ध्यान देने की कोशिश करें तो इनका असली चेहरा बहुत जल्द सामने आ जाता है। क्योंकि यह दोनो ही वरिष्ठ लोग आज उत्तराखंड में जिस तरह से बीजेपी की फज़ियत कर रहे है। उसका तमाशा बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ राज्य की जनता भी देख रही है। पिछले दिनों कोश्यारी जी का हरीश रावत के साथ देहरादून में गुफ्तगू करना और खंड़ूड़ी जी को लेकर जिस तरह से इन्हों दिनों मीडिया और खुद पार्टी के अंदर चर्चाएं हो रही हैं,वह आज किसी से छुपा नहीं है। इसके बावजूद यह दोनों ही चेहरे खुद की हरकतों से बाज नहीं आ रहे है।
स्वामी रामदेव ने रिश्वत को लेकर जिस तरह से बयान दिया और उसके बात तुरंत-फुरत भुवन चंद्र खंडूड़ी की सफाई आना। इस पर भी उत्तराखंड में एक बहस छिड़ी हैं कि यदि खंडूड़ी को डर नहीं था। या वह पाक-साफ थे तो उन्होंने इस मामले में इतनी जल्द बाजी क्यों दिखायी है। उत्तराखंड में यह चर्चा भी जोरों पर हैं कि किस मंत्री ने रिश्वत मांगी और किस मुख्यमंत्री के पास स्वामी रामदेव ने शिकायत की, यह तो यक्ष प्रश्न है ही, इसके अलावा यह भी किसी अबूझ पहेली से कम नहीं कि रिश्वत मांगी किस चीज के लिए गई। स्वामी रामदेव के शुक्रवार को मीडिया में आए बयान के अनुसार जमीन के लैंड यूज बदलने के नाम पर यह डिमांड की गई लेकिन दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की प्रेस कांफ्रेंस में जो हैंड आउट बटवाया गया उसमें जिक्र किया गया कि विभिन्न प्रकार की दवाइयां आदि सामग्री बनवाने के लिए अलग-अलग लाइसेंस की जरूरत पड़ती है, रिश्वत इसकी ऐवज में मांगी गई। गौर करें...यहां खंडूड़ी जी यह जानते हैं कि रिश्वत तो मांगी गयी...लेकिन खंड़ूड़ी जी यह भूल गए कि रिश्वत दवाइयों के लिए नही...बल्कि लैंड यूज बदलने के नाम पर मांगी गयी। जो बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण साफ-साफ मीडिया में कह चुके है। इन दोनों ही ने कहीं भी,यह शब्द यूज नहीं किए कि रिश्वत...दवाइयों के लाइसेंस के लिए रिश्वत मांगी गयी। खंडूड़ी जी के इस बयान से यह तो साफ हो जाता हैं कि खंड़ूड़ी जी अपने ऊपर लगे आरोपों को अब दूसरे किसी के ऊपर डालना चाहते है। या यूं कहें की खुद के बयानों में ही खंड़ूड़ी उलझ चुके है। क्योंकि बाबा राम देव और आचार्य बालकृष्ण यह स्पष्ट कर चुके हैं कि रिश्वत मांगी गयी थी...लेकिन लैंड यूज बदलने के लिए ही...।
लेकिन जो हो बाबा रामदेव के बयान से उत्तराखंड की राजनीति में तुफान उठ खड़ा हुआ है। उत्तराखंड में काँग्रेस और बसपा समेत समूचे विपक्ष सहित भाजपा ने भी बाबा रामदेव से रिश्वत की माँग करने वाले मंत्री के नाम के खुलासे की मांग की है। मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने तो स्वामी रामदेव को यहाँ तक आश्वस्त किया कि नाम के खुलासे के बाद सरकार उचित कार्रवाई करेगी। बाबा रामदेव ने अपने से रिश्वत माँगी जाने की घटना को लेकर अपने आरोपों को एक बार फिर दोहराया है।
विद्रोही

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