अफज़ल और 13 दिसम्बर
आखिर क्या मजबूरी है हमारी सरकार की अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को फांसी देना नहीं चाहती। क्या कारण है । अगर हमारी सरकार गौर फरमाये कि इन खुंखार आतंकवादियों के ऊपर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है। तो ये साफ हो जाएगा कि आमिर अजमल कसाब के साथ कई आतंकवादी भारत के दामाद बने बैठे हैं... क्या हमारी सरकार एक और कांधर कांड़ का इतंजार कर रही है। क्या याद नहीं कि 24 दिसम्बर 1999 को भारतीय वायुयान आई सी 814 को आतंकवादियों ने अपने कब्जे में कर लिया लिहाजा 176 मासूम जानों की कीमत पर जैश-ए मुहम्मद के तीन खूंखार आतंकी, मुश्ताक अहमद ज़रगर,अहमद ऊमर सईद शेखी और मौलाना मसूद अजहर को सरकार को मजबूरन छोड़ना पड़ा और 13 दिसम्बर 2001 को संसद की गरिमा को अफजल गुरु और उनके साथियों ने धूमिल किया था फिर भी अफजल गुरु की सेवाभाव में कोई कमी नहीं कि जा रही है। एक सवाल जेहन में बार-बार आता है कि ये किस्सा भारत के साथ ही क्यों दोहराया जाता है।यहां क्यों आंतकियों को बच्चो की तरह पुचकार के रखा जाता है। ये तो वही कहावत चरितार्थ होती है कि हम तुम्हें मारेंगे और तुम्हारे घर पर राज भी करेंगे। वहीं मन में ये सवाल भी बार-बार कौंधता है कि और भी देश है जहां पर आतंकी तो दूर चोर को इतना दण्ड़ दिया जाता है कि वह दोबारा चोरी करना तो दूर वो अपने मन में चोरी करने का विचार तक नहीं लाता...इन देशों में आंतकियों को तो एक दो पेशी के बाद उनका निपटारा कर दिया जाता है। हम उदाहरण ले कि 9/11/2001को अमेरिका पर हमले में प्रयोग में लायी गयी एयरलांइस की फ्लाइट 77 के जरिए वर्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन को निशाना बनाया और उसमें मौजूद 2752 लोगो को असमय काल के गाल में जाना पड़ा। लेकिन जबाब में अमेरिका ने आतंकियों के खिलाफ विश्व व्यापी अभियान छेड़ दिया.... नतीजा सामने है कि उसके बाद अब तक अमेरिका पर दोबारा कभी ऐसा हमला नहीं हुआ... लेकिन इसके इतर भारत पर आतंकियों के कहर का कोहराम लगातार जारी है.... हमले सिर्फ भारत पर ही क्यों होते हैं। किसी ने कभी नहीं सोचा होगा और सोचा भी होगा तो अमल ही नहीं किया होगा । कल फिर कोई हमला होगा दो चार दिन चारो तरफ जोर शोर से चर्चा होगी धर पकड़ होगी मुकदमें चलेगे फैसला आएगा और फिर शुरू होगा इन फैसलों की फाइलों का वो सफर जो दोषी को मुकाम पर पहुंचनाने की जगह मेहमान बना देता है... लेकिन कल किसने देखा है कोई फिर से प्लेन को अपने कब्जे में लेकर अपने साथियों को छोड़ने की मांग करेंगे तब तो सरकार मजबूरी शब्द की दलील देकर उन सब को छोड़कर हाथ मलने का झूठा नाटक करेगी। इन सब घटनाएं हो इसके पहले हमारी सरकार को जागना होगा और देश हित में व्यक्तिगत राजनीति को दरकिनार कर ठोस कदम उठाना होगा..
sahi kah rahe hain aap kintu yahi to rona hai ki vyaktigat rajneeti me fanse hamare rajneetigyon ko desh hit nahi dikhta..
ReplyDeleteamerica apne desh k liye kisi ki bhi checking ker sakta hai.chahe vo koi bhi ho.per apne desh ka durbhagya hai ki hum uska kuch nahi bigad sakte jiska apradh supreme court ne siddh ker diya!
ReplyDeleteRajnish ji
ReplyDeleteaapki baat ..to akhbaar ke pehale pnne pe..prrkaashit honi chahiye....sarkaar ,lecturers ko contract pr rkhtio he....unhe sirf 8 mahine ka karykaal diya jata he taki ...paise bchaaye jaaye .....yaahan Ph.D kr ke bhi students jobs ke liye tars rhe hain....pr sarkaar..aise aantakvaadiyon ko chicken biryaani aur krodon kharch krne se nhi njhijhkti wo sasta lgta he..