27.12.10

सिर्फ और सिर्फ मैं ................
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ
मैं ....
चांदनी रात में,
समंदर किनारे ,
गीली रेत पर बैठकर ,
भर लेना चाहती हूँ
आँखों में अपनी तेरे चेहरे का नूर और ......
लेकर हाथो में हाथ ,
चलना चाहती हूँ ,
तेरे कदमो के निशान से ,
अपने कदम मिलाकर
बहाँ जहाँ डूबता हे सूरज सागर में कही दूर ,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ
मैं ................................
संगीता मोदी "शमा"

3 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर ख्वाहिश्।

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  2. behad sundar , is kavita ko bar bar padhne kee iksha hotee hai .

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