अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
2.1.11
तेरे जैसा यार कहाँ कहाँ ऎसा याराना.........
तेरे जैसा यार कहाँ कहाँ ऎसा याराना....... लगभग बीस वर्षों पूर्व ली गयी इस तस्वीर में, बाँये से - कवि विनय सौरभ, शहंशाह आलम, अविनाश ( मोहल्ला लाइव) एवं ऊपर पसरे अरविन्द श्रीवास्तव।
नये वर्ष में इससे बेहतरीन तोहफ़ा और क्या हो सकता है मित्रों के लिए..
मित्रता को बचाया आपने...
ReplyDeleteतस्वीर को ’हलवा’ होने से बचाया आपने... बधाई!!
यही तो दोस्ती है...
ReplyDelete*गद्य-सर्जना*:- जीवन की परिभाषा (आत्मदर्शन)