हम हार नहीं मानेगें
महाराष्ट्र में अतिरिक्त जिला कलक्टर को जिन्दा जला देने की घटना हमारे पूरे देश की व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है .अगर ईमानदार व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जायेगा तो कौन ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को अंजाम देगा? लेकिन एक बात जो माफियाओं को समझ लेनी चाहिए वो यह है क़ि ईमानदारी को तुम न तो जला सकते हो ;न काट सकते हो -तुम केवल एक व्यक्ति के शरीर को चोट पहुंचा सकते हो .आज हम सब के दिलों में आग लगी हुई है और ये तब तक नहीं बुझेगी जब तक ज़िम्मेदार अपराधी अपनी करनी क़ा फल नहीं पा लेते .ऐसी घटनाओं से हम सहम जाने वाले नहीं ;ये घटनाएँ तो हम में सोये हुए जज्बातों को और भी ज्यादा झकझोर कर जगा देते है .भगत सिंह के देश में अब भी शहादत देने वालों की कमी नहीं है .मुनाफाखोरी कर देश के साथ गद्दारी करने वाले देशद्रोहियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए .आजादी से पहले हम विदेशियों से टकराए थे पर अब हमे अपने ही देश में पल रहे इन साँपों क़ा सिर कुचलना होगा .हमारी इस चुनौती को स्वीकार करने को तैयार हो जाओ -
''तुम जला सकते हो मुझको ;काट सकते हो मुझे ,
पर मेरे ईमान को हरगिज डिगा न पाओगे , ''
महाराष्ट्र में अतिरिक्त जिला कलक्टर को जिन्दा जला देने की घटना हमारे पूरे देश की व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है .अगर ईमानदार व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जायेगा तो कौन ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को अंजाम देगा? लेकिन एक बात जो माफियाओं को समझ लेनी चाहिए वो यह है क़ि ईमानदारी को तुम न तो जला सकते हो ;न काट सकते हो -तुम केवल एक व्यक्ति के शरीर को चोट पहुंचा सकते हो .आज हम सब के दिलों में आग लगी हुई है और ये तब तक नहीं बुझेगी जब तक ज़िम्मेदार अपराधी अपनी करनी क़ा फल नहीं पा लेते .ऐसी घटनाओं से हम सहम जाने वाले नहीं ;ये घटनाएँ तो हम में सोये हुए जज्बातों को और भी ज्यादा झकझोर कर जगा देते है .भगत सिंह के देश में अब भी शहादत देने वालों की कमी नहीं है .मुनाफाखोरी कर देश के साथ गद्दारी करने वाले देशद्रोहियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए .आजादी से पहले हम विदेशियों से टकराए थे पर अब हमे अपने ही देश में पल रहे इन साँपों क़ा सिर कुचलना होगा .हमारी इस चुनौती को स्वीकार करने को तैयार हो जाओ -
''तुम जला सकते हो मुझको ;काट सकते हो मुझे ,
पर मेरे ईमान को हरगिज डिगा न पाओगे , ''
बिलकुल सही लिख रही हैं आप.यदि इन कार्यों से ईमानदारी को ख़त्म होना होता तो कब की ख़त्म हो चुकी होती.जब तक ईमानदारी पर mar mitne वाले हैं तब तक ईमानदारी का झंडा बुलंद ही रहेगा...
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