दिल का घरौंदा हो या पत्थर के हो घराने
टूटेंगे यहाँ पर अभी कई आशियाने
रह जाएँगी बस यादें जो जिंदा रहती है
सब कुछ तो मिट गया अब क्या आये हो मिटाने
मै बुत नहीं कोई जो बेजान होता है
जज्बात का महल हर एक इंसान होता है
हमने भी ख्वाब देखे थे जो हो गए पुराने
दिल का घरौंदा हो या
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मै सोचता था ख्वाब देखना गुनाह है
गुनाह का लिये तो हर कोई पनाह है
हकीक़त से वास्ता नहीं गुजरे कई ज़माने
दिल कहो घरौंदा या पत्थर के हो घराने
टूटेंगे यहाँ पर अभी कई आशियाने
ये रचनाएं संजय मिश्रा द्वारा प्रेषित हैं.
सार्थक प्रस्तुति.बधाई .
ReplyDeleteदिल का घरौंदा हो या पत्थर के हो घराने
ReplyDeleteटूटेंगे यहाँ पर अभी कई आशियाने
रह जाएँगी बस यादें जो जिंदा रहती है
सब कुछ तो मिट गया अब क्या आये हो मिटाने
बहुत प्रभावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर.
bahut sundar.................
ReplyDeleteमै बुत नहीं कोई जो बेजान होता है
ReplyDeleteजज्बात का महल हर एक इंसान होता है
सच कहा …………बडी तल्ख सच्चाई है…………सुन्दर प्रस्तुति।
मै बुत नहीं कोई जो बेजान होता है
ReplyDeleteजज्बात का महल हर एक इंसान होता है
हमने भी ख्वाब देखे थे जो हो गए पुराने
बेहद प्रभावी रचना!!!!