सीलबंद लिफाफा
दिनांक – 30 जनवरी 2011
अभी–अभी पिछले हप्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कहा था कि विदेशी बैंक में काला धन रखने वाले लोगों के नामों को केन्द्र सरकार क्यों नहीं उजागर कर रही है। आज दिनांक 30 जनवरी 2011 लगभग सभी समाचार पत्रों में केन्द्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोहली का वक्तव्य प्रकाशित किया है इस संम्बध में उन्होंने कहा कि कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में उन लोगों के नाम की सूची सौंप दिया गया है। इसलिए कोर्ट खुद ही नामों का खुलासा करे या नहीं, यह बात कोर्ट पर निर्भर करती है। यह बड़े आश्चर्य की बात है पहले तो केन्द्र सरकार को नाम पता चल जाने पर भी इतने दिनों तक इस बात को छुपा कर रखा। अब जब कोर्ट ने इस बात को लेकर केन्द्र को झिड़की दी तो केन्द्र ने खुद सुप्रीम कोर्ट के उपर नामों के उजागर करने की बात कह कर उसी पर यह जिम्मेदारी डाल रही है। कोर्ट का काम तो समाज में न्याय व्यवस्था को देखना है, नकी भ्रष्टाचारियों नामों के खुलासा करने या न करने कि जिम्मेदारी है। जब नेता, मंत्रीगण भ्रष्टाचार करने से लेकर अपने कार्य या स्वार्थ सिद्ध करने के लिए नियम कानून को ताक पर रख सकते हैं। तब भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर करने के मामले में कानून की दुहाई क्यों दिया जा रहा है। जब कि खुद स्विट्जरलैंड काले धन के मुद्दे पर बह भारत की मदद करने को तैयार है। इस संम्बध में भारत के साथ आयकर मामलों में सहयोग की एक नई संधि को इस साल मंजूरी मिल जाने के बाद ही आयकर विभाग द्वारा कार्यवाही हो सकेगी। अभी संधि को मंजूरी मिली भी नहीं तब आयकर विभाग इस पर अभी से कार्यवाही कैसे कर सकता है। इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है हो न हो उन लोगों के नामों में से कुछ लोग वर्तमान समय में सरकार या देश के अहम पदों को सुसोभित कर रहे हैं। अब खुद ही अपने नाम का खुलासा करने में शर्म कैसी यह शर्म अगर पहले ही आ गई होती तो आज वर्तमान में यह बात इस स्तर तक पहुँची ही न होती।
लिफाफे में भी कोई पेंच है
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