2.1.11

कविता: प्रतिकार

राजा सशंकित, प्रजा सशंकित और यह ध्वजा सशंकित,
सोंचता हूँ देश की धरती, तुझे त्याग ही दूँ ।
पर, ... ... ...
(भ्रष्टाचार, राष्ट्रद्रोह के प्रतिकार में यह पूरी कविता जरूर पढ़े)
http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/11/pratikar-poem-by-prakash-pankaj.html


पिछले  कुछ दिनों से मेरे मन की स्थिति दयनीय थी। चाह रहा था कुछ लिखना पर लिख नहीं पा रहा था। अचानक उस रात फूट परे ये शब्द। करुण स्थिति में लिखी गई यह कविता समाज के कुछ ऐसे (कु)ख्यात प्रकार के लोगों को समर्पित है जो की "निम्न" हैं :

अनुच्छेद।।१।।  कलमाड़ी, अशोक चव्हाण, ए. राजा और उन जैसे भ्रष्ट लोगों के लिए।
अनुच्छेद।।२।। आई.आई.पी.एम  के चोटी वाले उन जैसे अन्य शिक्षा के व्यापारियों के लिए।
अनुच्छेद।।३।। गिलानी, अरुंधती और उन जैसे अन्य देशद्रोहियों राष्ट्र-विरोधियों के लिए।

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