बह गयी बसंत की बयार मेरे आर-पार ,
धूल भरी हवा की पुकार मेरे आर-पार ।
कोयल की कूक भरी , विरही की हूक भरी ,
फागुन की छाई बहार मेरे आर-पार । बह ......... ॥
महुआ के फूलों से , बौरों की झूलों से ,
आयी अलि की गुंजार मेरे आर - पार । बह ......... ॥
जिसकी आँचल के तले , नूपुर पहन के चले ,
आती है याद वो दयार मेरे आर-पार । बह ............ ॥
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