26.2.11

बह गयी वसंत की बयार

बह गयी बसंत की बयार मेरे आर-पार ,
धूल भरी हवा की पुकार मेरे आर-पार ।

कोयल की कूक भरी , विरही की हूक भरी ,
फागुन की छाई बहार मेरे आर-पार । बह ......... ॥

महुआ के फूलों से , बौरों की झूलों से ,
आयी अलि की गुंजार मेरे आर - पार । बह ......... ॥

जिसकी आँचल के तले , नूपुर पहन के चले ,
आती है याद वो दयार मेरे आर-पार । बह ............ ॥

No comments:

Post a Comment