4.2.11

कालों का राज है भाई


अरेरेरेररेरेरेरेरेरेरे ... रूको भाई मैं कोई रंगभेदी नही हूँ .. केवल पत्रकार भी नही हूँ ... मैं तो एक अमीर देश की गरीब जनता के बीच का आदमी हूँ जो काले गोरे आदमीयों तक का भेद तो समझ नही सका है फिर भला काले सफेद धन के बारे में क्या समझता । लेकिन अब समझना चाहता हूँ क्योंकि मुझे अब बच्चों के स्कूल फिस पटाने में समस्या आने लगी है, सब्जी खरीदने की जगह केवल चाँवल पकाकर उसे नमक अचार डाल कर खा रहा हूँ, पेट्रोल ना भर पाने के कारण अब साइकिलिंग कर रहा हूँ , बिजली बिल ना पटा पाने के कारण अवैध रूप से बिजली खींच कर घर को रोशन कर रहा हूँ, .... मैं एक गोरा आदमी हूँ और बडी मुश्किल से अपना जीवन गुजार रहा हूँ ....
         लेकिन गुस्से से मेरा मन भर जाता है
                                           जब उस काले को देखता हूँ जिसके कुत्ते
डॉग ट्रेनर के घर कार से जाकर ट्रेंड हो रहे हैं, जिसका रसोइया कार में बैठ कर बाजार जाता है और गाडी भर कर सब्जी लाता है, उसके घर पर रोज दावतें हो रही है और मैं रात भर डीजे की आवाज सुन कुढता रहता हूँ , लेकिन मैं इसमें उस काले को दोषी नही मानता ............. मैं उसे दोषी मानता हूँ जिसे विदेश में काला कहकर रात के समय ट्रेन से उतार दिया जाता है और वह अपने पर हुए अपमान से कुढकर सारे हिंदुस्तान को चलती ट्रेन से उतार रहा है । अब वह सफेद और काले में भेद भाव कर रहा है और मुझ गोरे को छोड उस काले के साथ सफर कर रहा है ... जिसके घर पर बिना अनुमती घुसने पर गोली मारने का आदेश है और वह काला सा बदसूरत आदमी अपने कुछ हजार साथियों के साथ मुझ जैसे करोडों गोरों पर  राज कर रहा है ।
....
                                        हे मेरे गोरे भाइयों मेरी सहायता करो ... थोडी सी कालिख मेरे लिये भेज दो ताकि मैं भी काला बन जाऊँ ।

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