रघु.राजीव और रणविजय सुना है आप ने ये नाम शायद चैनल बदलते वक़्त दो टकलों के बीच में एक बालों वाला इन्सान मिल जाए..वही हैं ये तीन नालायक ...सोच रहा था इतने छिछोरे लोगों के बारें में लिख कर समय बर्बाद करूँ या नहीं..फिर देखा आज कल के युवाओं को गिडगिडाते हुए उनके शो में जाने के लिए..तो सोचा एक छोटा सा प्रयास करूँ...
जो इन महानुभावों को नहीं जानते है उनके लिए बता दूँ की इनके नाम पर न जाएँ..ये बिलकुल भी रघु या रणविजय या राजीव जैसा व्यक्तित्व नहीं रखतें है..ये एक रिअलिटी शो का आठवा संसकरण बना रहें है MTV रोडीज...
रोड़ी बनने की जो पात्रताए है उसमें से कुछ इन टकलों के अनुसार निम्नांकित है...
१ रोड़ी बनने के लिए माँ बहन की गालिया सुनना जरुरी है...जैसा की वो हर दुसरे मिनट में प्रतियोगी की माँ और बहन के लिए निकलते है...और बीप बीप करके हमे उन गलियों का एहसास कराया जाता है..
२ आप को समलैंगिकता(गे) को मान्यता देनी होगी.. ऐसा ये टकले सुनते कहे गए कई बार की समलैंगिकता सही है..और प्रतियोगी के विरोध करने पर उन्हें गालिया मिलती है...
३ आप को भारतीय संस्कृति के बारे में कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है क्यूकी अगर आप ने भारत या भारत की संस्कृति की बात की तो आप संस्कृति के ठेकेदार कहकर बाहर निकल दिए जाएँगे..
ज्यादा लम्बी लिस्ट नहीं लिखूंगा सिर्फ इन्ही पंक्तियों को आधार बनता हूँ ...
आज तक हमने अपनी इज्जत व देश की खातिर गोलियां खाना सिखा है..अब रोड़ी बनिए और अपनी माँ बहन की गलियां सुनिए...मतलब अब हमारे यहाँ बेहया नामर्द बनाए जाएँगे जिनकी माँ बहनों की इज्जत MTV के ये टकले स्टूडियों में नीलाम करेंगे और हमारे देश के कर्णधार सर झुकाकर अपनी माँ बहनों को इनके सामने रख देंगे..क्यूकी रोड़ी जो बनना है...
आगे भी वो कुछ बनेंगे... वो अब समलैंगिक बनेंगे क्यूकी समलैंगिकता को मान्यता तो रोड़ी के जज ही दे रहें है..रोड़ी स्कूल के बच्चे तो अनुसरण ही करेंगे.. और भारतीय संस्कृति को तो MTV के कूड़ेदान में ही डाल देंगे ..
वैसे भी भारतीय संस्कृति विवेकानंद रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह और समर्थ रामदास पैदा करती है..बेहया नामर्द माँ बहनों की इज्जत नीलम करने वाले रोड़ी नहीं...
दुःख ये है की हमारी नयी युवा पीढ़ी के कुछ लोग कतारबद्ध हो कर कातर दृष्टि से इनके सामने दुम हिलाते रहते है..
अब रोड़ी टाइप युवाओं से एक अपील: मेरे बंधुओ बेहयाई छोड़ो देश के लिए गोली खाने का माद्दा रक्खो.. इन टकलों से माँ बहन की गाली खाने का नहीं...विवेकानंद बनो,भगत सिंह बनो रामदास बनो..और अगर ये नहीं बन सकते तो इन्सान बनो समलिंगी बीमार नहीं....
ये बिदेशी मीडिया और उसके चमचे तो भारत को खोखला करने के लिए ये सब कर रहें है और तुम उनका साथ दे रहे हो क्यूकी...रोड़ी जो बनना है..................
आप सभी पाठकों से मैं कहना चाहूँगा इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाने में मेरा सहयोग करें..ताकि शायद ये समाजद्रोही गद्दार जान जाएँ की ये देश मर्दों का है नामर्दों का नहीं...........
जय हिंद जय भारत...
आशुतोष
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