( यह गीत जापान के लिए मेरा सांत्वना सन्देश है । गीत में प्रयुक्त शब्द 'बब्बर' मेरा साहित्यिक उपनाम है । )
ये जलजला कहाँ से आता है ?
दिल जमीं का भी काँप जाता है ।
जब कोई आशियाँ उजड़ता है ,
एक परिंदे की याद आती है ;
तिनका तिनका बटोर कर कोई
अपना एक घोंसला बनाता है । ये जलजला ....... ॥
अय समंदर की लहर तूफानी ,
ये कैसा संगदिल हुआ पानी !
एक अरसे में जो बनता है शहर ,
एक पल में ही डूब जाता है । ये जलजला ......... ॥
यार बब्बर , कहर ये कुदरत का ,
जैसे हो एक झलक क़यामत का ;
कितना नादान है मगर इंसान
खुदा का खौफ भूल जाता है । ये जलजला ............ ॥
त्वरित रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिए ।
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