तीन विचार
१ * सबको yesman [यसमैन] चाहिए , जबकि मैं वसमैन हूँ |इसलिए मेरी किसी से नहीं पटती |
२ * मैं मूर्ख तो हूँ पक्का , इसमें कोई संदेह नहीं है | मैं ईश्वर को नहीं मानता ,जबकि देख रहा हूँ कि labia majora और labiaminora की संरचना कितने करीने से की गयीहै और इसी प्रकार आँख ,कान ,नाक दांत आदि की बनावट और उनकी आश्चर्य जनक कार्य प्रणाली |
१ * सबको yesman [यसमैन] चाहिए , जबकि मैं वसमैन हूँ |इसलिए मेरी किसी से नहीं पटती |
२ * मैं मूर्ख तो हूँ पक्का , इसमें कोई संदेह नहीं है | मैं ईश्वर को नहीं मानता ,जबकि देख रहा हूँ कि labia majora और labiaminora की संरचना कितने करीने से की गयीहै और इसी प्रकार आँख ,कान ,नाक दांत आदि की बनावट और उनकी आश्चर्य जनक कार्य प्रणाली |
३ * यह तो बहुत अच्छा है |
मैंयह सोच नहीं पा रहा हूँ कि एन डी तिवारी जी के जैविक पुत्र ने , यदि वह सचमुच
मैंयह सोच नहीं पा रहा हूँ कि एन डी तिवारी जी के जैविक पुत्र ने , यदि वह सचमुच
ही हैं , ऐसा मुकदमा क्यों किया ? पर यह तो निश्चित सोच पा रहा हूँ कि यदि तिवारी की जगह कोई कबाड़ी या रिक्शा वाला होता , और वह दुहाईयाँ देकर , गिडगिडा कर कहता -हे मेरे जैविक पुत्र , मुझे आज खाने और पौवे के लिए पचास रूपये दे दे , तो वह लात मारकर उसे भगा देते |
दूसरे मैं यह सोच रहा था कि पुत्र को तो कोई हक ही नहीं है क्योंकि वह किसी साम्बंधिक घटना का चश्म दीद गवाह नहीं है | हाँ , उसकी माँ को है | इसीलिये मैं उसके पक्ष में हूँ | क्योंकि इससे स्त्री सशक्ती करण को बल मिलता है | अब कन्या के पिता और स्वयं कन्या को शादी के लिए ज्यादा खोजबीन करने कि ज़रुरत नहीं होगी कि दूल्हा कैसा है ? वह कुछ कमाता हो ,न कमाता हो , पुन्सक हो ,नपुंसक हो , कोई फर्क नहीं पड़ता | बस लड़की को थोड़ा समझदार - दुनियादार होना चाहिए | वह सब संभाल लेगी | यदि पाँच बच्चे, तीन लड़के दो लड़कियां , भी हुए तो लड़कों को तो एक नेता , एक उद्योगपति ,एक किसी माफिया का जैविक पुत्र बना देगी और लड़कियां चतुर हुयीं तो माँ का मार्ग स्वयमेव पकड़ लेंगी | कम्प्लीट चिंतामुक्ति ?
लेकिन एक बात कहना तो शेष ही रह गया | यदि सपूत जी सचमुच तिवारी जी के जैविक पुत्र हैं ,तो उन्हें अपने लक्षणों से उसे जगजाहिर करना चाहिए | अदालत को तो अन्य सबूत चाहिए | उनका फैसला जो भी हो | समाज के समक्ष उन्हें यह सिद्ध करना चाहिये कि वह तिवारी जी के इश्क मिजाज [जैसा कि उनके आरोप में गुप्त - निहित है ]गुणों से संपन्न हैं | उन्हें भी अपना कोई जैविक संतान उत्पन्न कर नजीर के रूप में पेश करना चाहिए और तब ताल ठोंक कर कहना चाहिए कि वे उनके असली वारिस हैं | जैविक पुत्र में यदि जैविक गुण होंगे तो तिवारी जी स्वीकार करें ,न करें समाज तो उन्हें स्वीकार कर ही लेगा | ###
दूसरे मैं यह सोच रहा था कि पुत्र को तो कोई हक ही नहीं है क्योंकि वह किसी साम्बंधिक घटना का चश्म दीद गवाह नहीं है | हाँ , उसकी माँ को है | इसीलिये मैं उसके पक्ष में हूँ | क्योंकि इससे स्त्री सशक्ती करण को बल मिलता है | अब कन्या के पिता और स्वयं कन्या को शादी के लिए ज्यादा खोजबीन करने कि ज़रुरत नहीं होगी कि दूल्हा कैसा है ? वह कुछ कमाता हो ,न कमाता हो , पुन्सक हो ,नपुंसक हो , कोई फर्क नहीं पड़ता | बस लड़की को थोड़ा समझदार - दुनियादार होना चाहिए | वह सब संभाल लेगी | यदि पाँच बच्चे, तीन लड़के दो लड़कियां , भी हुए तो लड़कों को तो एक नेता , एक उद्योगपति ,एक किसी माफिया का जैविक पुत्र बना देगी और लड़कियां चतुर हुयीं तो माँ का मार्ग स्वयमेव पकड़ लेंगी | कम्प्लीट चिंतामुक्ति ?
लेकिन एक बात कहना तो शेष ही रह गया | यदि सपूत जी सचमुच तिवारी जी के जैविक पुत्र हैं ,तो उन्हें अपने लक्षणों से उसे जगजाहिर करना चाहिए | अदालत को तो अन्य सबूत चाहिए | उनका फैसला जो भी हो | समाज के समक्ष उन्हें यह सिद्ध करना चाहिये कि वह तिवारी जी के इश्क मिजाज [जैसा कि उनके आरोप में गुप्त - निहित है ]गुणों से संपन्न हैं | उन्हें भी अपना कोई जैविक संतान उत्पन्न कर नजीर के रूप में पेश करना चाहिए और तब ताल ठोंक कर कहना चाहिए कि वे उनके असली वारिस हैं | जैविक पुत्र में यदि जैविक गुण होंगे तो तिवारी जी स्वीकार करें ,न करें समाज तो उन्हें स्वीकार कर ही लेगा | ###
bhaai aap merei trh adiyl kyun ho bhtrin lekhn ke liyen bdhaayi. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDelete