भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
16.3.11
छिनाल नहीं
* हिंदी के साहित्यकार वैसे ही हैं जैसी हिंदी है | हिंदी वैसी ही है जैसे हिंदी के साहित्यकार हैं |
* जो औरत नारायण दत्त तिवारी के ज़रिये पुत्र जनने का बयान दे रही है, और निस्संदेह जिसने
अपने पति से बेवफाई की, उसे क्या कहा जाये यदि छिनाल नहीं ?
1 comment:
padmsingh
16/3/11 9:23 AM
sikke ka doosraa pahloo
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sikke ka doosraa pahloo
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