6.3.11

रात आई है कोई सपना सजा लेने दो

रात आयी है , कोई सपना सजा लेने दो ,
गहरी तन्हाइयों का हमको मज़ा लेने दो ।
बड़ी मुश्किल से चुराकरके इसे लाये हैं ,
चैन की वंशी आज रात बजा लेने दो ॥

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