लगा गुलाल
गया मलाल
मन में उमड़ा
प्रीत का ज्वार
दोनों मिले
बाहें पसार।
----
आया भरतार
लगाया ना रंग ,
प्यासी गौरी
लग गई अंग।
-----
रंग छोड़ के
अंग लगा ले
हो जाउंगी लाल रे,
मौका और
दस्तूर भी है
तू
बात ना मेरी टाल रे।
----
झीने कपड़ों पर
साजन ने मारी
प्रेम भरी पिचकारी ,
सकुचा कर
अपने आप में
सिमट गई सजनी
सारी की सारी।
-----
होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteहोली है भाई होली है
ReplyDelete