22.4.11

लोकपाल से कम कारगर नहीं है,जनता का यह जेम्‍स बांड-जन सुविधा केंद्र

पूरे देश में लोकपाल के लिये लडाई चल रही है।लोक पालनहार एवं भ्रष्‍टाचार पोषकों का शीतयुद्ध अपने चरम पर है।पूरा देश इस इंतजार में था कि शायद कोई कानूनी तरीका उन्‍हें भ्रष्‍टाचार से निजात दिला सके या बेहद कारगर तरीके से उनकी शिकायतों की सुनवाई कर सके,लेकिन बडे-बडे नेता व मीडिया महारथियों ने लोकपाल की लडाई को अपनी नाक की लडाई बना कर उसे उलझा कर नूरा कुश्‍ती में तब्‍दील कर दिया है।कुछ विद्धानों का मानना है कि लोकपाल समिति में कोई दलित का न होना नये सिरे से मनुवाद का बढावा है।ऐसा लगने लगा कि भ्रष्‍ट लोगों का पूरा गठजोड इस लडाई को समाजसेवियों या संतो के लिये श्रेयी नहीं बनने देना चाहता।
लेकिन इतना सच है कि बिना दिल्‍ली के या बिना सक्रिय नेताओं के भी सामाजिक आदोलनों की लडाई को नये परिप्रेक्ष्‍य में पुर्नस्‍थापित या पुर्नजाग्रत किया जा सकता है।बस नेताओं का मलाल भी यही है कि उनके बिना चरण रज के कोई सुधारक पवित्र कैसे हो सकता है।उसकी पवित्रता या मलिनता का प्रमाणन तो सिल्‍कधारी या खददरधारी ही कर सकता है।
लेकिन इस समय पूरा देश जब जरूरतमंदों की मदद के लिये नौकरशाहों,नेताओं,दलालों व एन,जीओवादियों को अपने अपने तरीके से दोषी मान कर कोस रहा हो ऐसे समय उत्‍तर-प्रदेश के मुरादाबाद जिले के जिलाधिकारी आम जनता के जेम्‍स बांड बनकर स्‍थापित हुये हैं।कहने को तो वह जिले के ऐसे बडे पद पर हैं कि उन्‍हें अपने स्‍थापित होने के लिये किसी के प्रमाणन की जरूरत नहीं है,लेकिन सामने की कुर्सी पर बैठकर जब उनके शालीन,सरल व सहज व्‍यवहार व देशीय उददेश्‍य को पाने के तरीके का देखते हैं,तो लगता है कि देश के कुछ गिने चुने नौकरशाह देश में बहुत ही शांत तरीके से परिवर्तनशील व जनोन्‍मुखी सेवायें देने को प्रतिबद्ध हो चुके हैं।इससे पूर्व यह कलेक्‍टर के तौर पर झांसी जनपद में भी इसी तरह की सार्थक सेवायें दे चुके हैं।मैक्‍स बेबर व डी र्गोने की नौकरशाही पर हमेशा से अनुत्‍तरदायी होने की तोहमत लगती रही है,लेकिन अब इस जमाने के आधुनिक नौकरशाह ईमानदारी से अपने दायित्‍वों के निर्वहन में पूरे प्रशासन व पुलिस तंत्र को क्रियेटिव लीड करने लगे हैं।
मुरादाबाद जिले में जनता के लिये जन सुविधा केंद्र के रूप में कलेक्‍टर द्धारा एक फोरम,यानि काल सेंटर के रूप में स्‍थापना की गयी है।इस काल सेंटर में दिन रात कभी भी आप अपने लिये किसी सुविधा की मॉंग कर सकतें हैं।या किसी सरकारी बाबू की शिकायत कर सकतें हैं।जनता की परेशानी के आकलन के लिये इस कॉल सेंटर में एक अधिकारी हमेशा कार्य करता रहता है,जो तीन कम्‍प्‍यूटर आपरटेरों को शिकायत दर्ज करने का मार्गदर्शन करता है।बस शिकायत कर्ता के पास शिकायत करने के लिये एक मोबाइल फोन जरूर होना चाहिये,चाहे तो वह इस बाबत किसी और का मोबाइल फोन भी इस्‍तेमाल कर सकता है।जैसे ही कोई शिकायत या सेवा की आवश्‍यकता होती है,तत्‍काल सेवा प्रदान करने वाले अधिकारी व शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन पर एस,एम,एस पहुंचता है,ताकि जनता की सेवा में कोई देरी न हो।लिखित में भी अधिकारी के दफतर में डाक से चिटठी पहुंचती है। शिकायत की नेचर के आधार पर यह आकलन किया जाता है कि शिकायत का निस्‍तारण चौबीस घंटे,तीन दिन या सात दिन में किया जाय।लेकिन निर्धारित समय में शकायत का निस्‍तारण जरूरी है।यदि अधिकारी इसमें लापरवाही बरतता है,तो समझा जा सकता है कि उसे कलेक्‍टर का कोप भाजन व एडर्वस ऐन्‍ट्री का सामना करना पडेगा।हर हालात में अधिकारी का डिफाल्‍टर श्रेणी में आना उसकी नौकरी पर खतरा है। इसमें किसी प्रकार की लीपा पोती व टाल मटोल न की जाय,इसके लिये जब अधिकारी द्धारा यह बताया जाता है कि शिकायत का समाधान कर दिया गया है तब शिकायत कर्ता से संतुष्टि के लिये उसके फोन पर संपर्क किया जाता है।उससे पूंछ कर ही शिकायत को निस्‍तारित माना जाता है।इसमें सबसे ज्‍यादा पुलिस,नगर निगम,अस्‍पताल,आपूर्ति विभाग व खंड विकास दफतरों से शिकायतें मिलती हैं।लेकिन डी,एम की लगातार निगरानी लोंगों का सहूलियत प्रदान कर रही है।तहसील दिवस,थाना दिवस से भी ज्‍यादा कारगर तरीके से लोंगों की परेशांनियॉं दूर हो रहीं हैं।ग्रामीण क्षेत्र से आकर आम आदमी सरकारी दफतरों के चक्‍कर नहीं काटता बल्कि उसका दर्द पूंछकर इलाज किया जाता है।इससे उसके पैसे की बचत होती है और उस पर सरकारी छुटिटयों का असर भी नहीं पडता।
खास बात यह कि इसमें शिकायत कर्ता की आवाज भी रिकार्ड होती है।उसका नाम पता भी दर्ज होता है।लेकिन शस्‍त्र लाइसेंस,न्‍यायालय में विचारित समस्‍यायें,जनप्रतिनिधियों की शिकायतें यहॉ दर्ज नहीं हो पाती,फिर भी जेम्‍स बांड स्‍टाइल में लोगों के पास जाना लोकपाल बन जाने के समान है।

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