24.4.11

Saturday, April 23, 2011

वो लड़की ......जिसे उसके बाप और भाइयों ने मारा

कई साल हो गए मरे उसे . दिन रात चहकती फिरती थी घर आँगन में . कभी हंसाती थी ...और कभी रुला देती थी ...कभी गंभीर हो जाती तो कभी एकदम शोख ...चंचल . किस दिन मरी ठीक ठाक ये तो याद नहीं ......पर 5 ...7 साल हो गए शायद . सुनते हैं की बाप और भाइयों ने ही मारा...... माँ की भी मिली भगत थी बताते हैं .......क्यों मारा होगा ?कोई पैसे वैसे का चाक्कर था शायद .......पर पैसों के लिए कोई बहन बेटियों को थोड़े ही मारता है .....फिर ऐसी भी क्या आन पड़ी थी ? अच्छे खाते पीते लोग थे उसके बाप और भाई . बहुत पहले जब ये लोग बहुत गरीब थे .....जब दो कौर खाने को भी नहीं होता था ...सुना है तब उसे बहुत प्यार करते थे .....जान छिड़कते थे .....पाल पोस कर बड़ा किया .सालों उसे बड़े जतन से सहेजा ......क्या मजाल की कोई आँख उठा कर देख ले ....आँखे निकाल लेते थे .....सामने चाहे कोई भी हो ...बड़े से बड़ा कोई गुंडा बदमाश हो ,उद्योगपति हो या फिर नेता या तानाशाह ..... चाहे जो हो किसी से नहीं डरते थे . फिर अब ऐसा क्या हुआ की उसी बेटी को मार डाला .
चर्चा है की पैसों की खातिर मारा . और वो भी एक झटके में नहीं मारा ....धीरे धीरे मारा .....तिल तिल कर के मरी .और मारा भी सरे आम ........सारा मोहल्ला देख रहा था ......पर बेबस थे हम लोग ....लाचार.....कुछ नहीं कर सके ......कर भी क्या सकते थे ....सिवाय रोने के .
अरे आप भी तो जानते होंगे ....बड़ा प्यारा सा नाम था .....न्यूज़ .....प्यार से ख़बरें और समाचार भी बुलाते थे सब लोग ........मर गयी बेचारी . याद है पहली बार जब देखा उसे ........नहीं तब दिखती नहीं थी ...सिर्फ सुनते थे उसे .....मुझे याद है ,मैं तब दस एक साल का था ......1975 की बात है .इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी लगा दी थी देश में ....उन दिनों चंडीगढ़ की एक फौजी कालोनी में रहते थे हम लोग ......रात पौने नौ बजे ...सन्नाटा छ जाता था पूरी कालोनी में ...फिर 4 -5 बार बीप की आवाज़ आती ...और फिर वो धीर गंभीर आवाज़ ......ये आकाशवाणी है ......अब आप देवकी नंदन पाण्डे से समाचार सुनिए ........उन दिनों यूँ लगता जैसे पूरी कायनात सुन रही हो उसे ......बताते हैं की इमरजेंसी में उठा के बंद कर दिया था उसे
पूरे परिवार के साथ ...फिर भी इन लोगों ने हार नहीं मानी .......चुप नहीं बैठे ......और दो साल में ही औकात बता दी थी सबको ......फिर टीवी आया .....दिखने लगी सुबह शाम ......कुछ दिन तो सब ठीक ठाक चला .......फिर बताते हैं की इसके भाइयों की नीयत खराब हो गयी......एक भाई था उसका
रजत शर्मा नाम था.कहता था की करोड़ पति बनूँगा . उसी ने सबसे पहले उसे घर से बहार निकाला..... और थोड़े ही दिनों में बहुत अमीर हो गया ....फिर इसके बाद तो सबकी नीयत खराब हो गयी .....सभी उसे बेचने लगे ...चन्द रुपयों की खातिर .......आखिर कब तक बर्दाश्त करती ...मर गयी धीरे धीरे .....उसका एक भाई होता था ....S P SINGH नाम था उसका ....बहुत प्यार करता था उसे .....जान छिड़कता था .......बड़ी सेवा की थी उसने न्यूज़ की .....जब दिल्ली में उपहार सिनेमा का अग्नि कांड हुआ तो उसने सारी न्यूज़ कवर की थी .....शाम को समाचार पढ़ के जो घर लौटा तो उस हादसे के सदमे से मर गया ......हार्ट अटैक हो गया .कई बार मैं सोचता हूँ की बड़ा अच्छा हुआ जो S P SINGH तभी मर गया ...आज अगर आज तक की हालत देखता तो जीते जी मर जाता ( प्रख्यात पत्रकार स्वर्गीय श्री sp singh वर्तमान टीवी पत्रकारिता के जन्म दाता थे और आज तक चैनल की शुरुआत उन्होंने ही की थी ) अब उसकी जगह एक नई लड़की ले आये हैं ये लोग पता नहीं कहाँ से .....कोठे पर बैठा दिया है उसे ......दिन रात नचाते हैं उसे .....बेशर्मी से हंसती है .....आवारा लड़कों के साथ घूमती है सार सारा दिन .......कभी बिग बॉस के घर तो कभी सड़कों पर .......बिना ड्राईवर की गाडी में .....कभी भूत भूत चिल्लाती है तो कभी कहती है ....भागो ...प्रलय आ गयी......दिन रात गली में लौंडों के साथ किरकेट खेलती है ....
एक और भाई था उसका ...कहता था ..जैसी भी है ......है तो मेरी बहन ही ......पागल हो गया था ...दिन रात लड़ता था अपने बाप से ........गरियाता था अपने भाइयों को ......एक चुनरी ले कर घूमता था ....कहता था पहनाऊंगा उसे ......हमारे घर की इज्ज़त है ....बेटी है मेरी .....मर गया पिछले दिनों .......वही चुनरी हाथ में लिए ......आलोक तोमर नाम था उसका .......






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