भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
4.4.11
reenakari: जैसे चाँद से चांदनी रूठ कर चले
reenakari: जैसे चाँद से चांदनी रूठ कर चले
: " आजाता है जीकर उनका हर बार कुछ इस तरहां , उनका जीकर भी ना करू ,आजाता&nbs..."
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