कई सालों से कश्मीर के टूरिज्म की रीड़ की हड्डी बनी हुई है अमरनाथ यात्रा
फिर भी अलगाववादियों ने छेड़ी है मुहिम इसकी अवधि कम करने की
--सुरेश एस डुग्गर--
जिस अमरनाथ यात्रा की अवधि को लेकर अलगाववादियों द्वारा बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है, उसके इस पहलू की ओर वे ध्यान देने से कतरा रहे हैं कि पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा कश्मीर के टूरिज्म की रीड़ की हड्डी साबित हो रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो अमरनाथ यात्रा के कारण ही कश्मीर का टूरिज्म पुनजीर्वित हो पाया है।
सिर्फ पिछले 7 सालांें के आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाई जाए तो यह सच्चाई सामने आती है। पर पर्यावरण की पट्टी आंखों पर बांधने वाले अलगाववादी नेता इस सच्चाई से रूबरू होने को राजी नहीं हैं। दरअसल उनके इस विरोध के पीछे का कड़वा सच यह है कि वे कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर लात मार कर अपनी दुकानों को चलाए रखना चाहते हैं।
आंकड़ों की जुबानी अगर कश्मीर के टूरिज्म की बात करें तो पिछले साल कश्मीर में आने वाले कुल सवा नौ लाख टूरिस्टों में पौने चार लाख का आंकड़ा अमरनाथ यात्रियों का भी जोड़ा गया था। अमरनाथ यात्रियों की संख्या कश्मीर आने वालों के बीच शामिल करने की प्रक्रिया करीब 7 साल पहले उस समय शुरू हो गई थी जब राज्य सरकार ने विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की खातिर इन आंकड़ों को विश्व समुदाय के समक्ष पेश किया था।
इन आंकड़ों के ही मुताबिक, वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2009 तक कश्मीर आए 51 लाख टूरिस्टों में 21।38 लाख अर्थात आधे से कुछ कम अमरनाथ यात्री थे जो श्रद्धालु होने के साथ-साथ पर्यटक बन कर भी कश्मीर में घूमे थे।
कश्मीर के टूरिज्म से जुड़े हुए लोगों का भी मानना है कि अमरनाथ यात्रा कश्मीर के टूरिज्म की लाइफलाइन है। ऐसे में अहसान फाजिली जैसे कई कश्मीरी चाहते थे कि इस यात्रा के लिए प्रबंध ऐसे होने चाहिए ताकि यह सारा वर्ष जारी रखी जा सके। वे अलगाववादियों की मुहिम से सहमत नहीं थे। ऐसा भी नहीं था कि वे पर्यावरण के प्रति चिंतित नहीं थे बल्कि कहते थे कि पर्यावरण को बचाने के लिए अमरनाथ यात्रा तथा पर्यटन को इको फ्रेंडली रूप दिया जा सकता है न कि कश्मीरियों के पेट पर लात मारी जानी चाहिए।
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
आपने बहुत महत्वपूर्ण विषय की ओर ध्यान आकर्षित किया है, साधुवाद
ReplyDeleteएक दो साल, वहां लोग जाये ही नहीं, तो इन्हें वहां के लोग ही पीट डालेंगे,
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