the song of krishna, only for chosen few : कृष्ण का गीत केवल कुछ चुने हुओं के लिए
तो मैं १३ वें अध्याय पर आया .
पहले दो श्लोक पढ़ कर ही रोमांच हो आया.
इतनी सरल भाषा में, इतना गूढ़ ज्ञान ! :
इसमें ज्ञान की परिभाषा , आ गयी .
श्लोक थे :
त्रयोदशोऽध्याय: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग
श्रीभगवानुवाचइदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥१३- १॥
अर्थ :
इस शरीर को, क्षेत्र कहा जाता है। और इस क्षेत्र को जो जानता है उसे
क्षेत्रज्ञ कहते हैं।
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम॥१३- २॥
इस शरीर को, क्षेत्र कहा जाता है। और इस क्षेत्र को जो जानता है उसे
क्षेत्रज्ञ कहते हैं।
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम॥१३- २॥
अर्थ ;
सभी शरीरों में मैं क्षेत्रज्ञ हूँ
सभी शरीरों में मैं क्षेत्रज्ञ हूँ
इस क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का ज्ञान ही वास्तव में ज्ञान है,
इसी प्रकार से पूरी गीता में आसान शब्दों में पूरी बात लिखी है .
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