26.5.11

...और ममता का एक रूप यह भी

शंकर जालान

जी हां, पश्चिम बंगाल की अग्नि कन्या यानी ममता बनर्जी ने केवल कला प्रेमी है बल्कि एक सफल चित्रकार भी हैं। रेल मंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को ज्यादातर लोग जुझारू नेता के तौर पर जानते हैं, लेकिन इन चित्रों को देख कर कोई भी सहज ही सकते में पड़ सकता है और यह मानने से पहले दांतों तले अंगुली दबा सकता है कि ये चित्र ममता बनर्जी के बनाए हुए हैं। लोग यह सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि आखिर इतनी व्यस्तता और भाग-दौड़ भरे राजनीतिक जीवन में ममता बनर्जी कैसे कला के लिए समय निकाल लेती हैं। इतना ही नहीं यानी कला के अलावा बनर्जी साहित्य के लिए भी वक्त बचा लेती हैं।सच मानिए संसद में जब जोरदार बहसों का दौर हो या फिर दक्षिण कोलकाता के कालीघाट स्थित उनका आवास या फिर तपसिया में बने तृणमूल कांग्रेस के मुख्यालय में बैठक हो रही हो या चर्चा। ममता बनर्जी थोड़ा समय निकाल कर पेंटिंग्स कर लेती हैं और कविताएं भी लिख लेती हैं।आप ने ठीक समझा हम यहां उसी ममता बनर्जी की बात कर रहे हैं जो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन का प्रतीक बनी हुई है। इन्हीं ममता बनर्जी की बनाई गई १०१ पेंटिंग्स की प्रदर्शनी शेक्सपियर सरणी स्थित गैलरी-८८ में लगाई गई। तीन दिनों तक चलने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन चार अप्रैल को हुआ, लेकिन लोगों की भीड़ को देखते हुए प्रदर्शनी एक दिन और बढ़ा दी गई। हालांकि १०१ चित्रों की प्रदर्शनी में बिक्री के लिए ९८ चित्र ही है और बुधवार शाम तक इनमें से आधे से अधिक चित्र बिक चुके थे। इसके एवज में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए एकत्रित किए जा चुके थे।प्रदर्शनी की खास बात यह है कि पहले ही दिन से यहां कला प्रेमियों का न केवल आगमन शुरू हो गया था, बल्कि १४ पेटिंग्स को खरीदार भी मिल गए थे। दूसरे दिन भी १४ और तीसरे दिन १५ से ज्यादा पेंटिंग्स को कला प्रेमियों ने खरीदा।इस प्रदर्शनी में हर रंग और मिजाज को ध्यान में रख कर बनाए गए चित्रों को रखा गया है। ममता के करीबियों के मुताबिक ममता ने इन चित्रों को व्यस्त दिनचर्या के बीच फुरसत में बनाया है। इन चित्रों में जंगल महल, द रिदम आफ लाइफ, द डाउन, अनसीन ड्रीम, फेडेड ब्यूटी व विंड इन ब्लू शामिल हैं।प्रदर्शनी में इन चित्रों को देखने के दौरान कला के जानकर बातचीत भी कर रहे थे और लगभग हर कोई ममता की पेंटिंग्स की तारीफ कर रहा था। कला के इन मुरीदों में मशहूर कलाकार से लेकर आम लोग मुग्ध होकर दीदी (ममता बनर्जी) के चित्रों की प्रशंसा में व्यस्त दिखे। ममता की पेंटिंग्स में उनके बहुचर्चित नारे मां-माटी-मानुष से लेकर जीवन और समाज के विविध रंग भरे हैं। सूत्रों के मुताबिक बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग पार्टी के सांगठनिक कार्यों में किया जाएगा। इसके साथ ही इन पैसों से गरीब व असहायों की मदद की जाएगी।पेटिंग्स की तारीफ करते हुए कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी कहते हैं - ममता छात्र राजनीति के समय से ही किसानों के आंदोलन से जुड़ी थी। प्रकृति के प्रति प्रेम उनमें बचपन से था। उनकी बनाई पेटिंग्स प्रेरणादायक है। कमोबेश यह बात विधानसभा में विरोधी दल के नेता पार्थ चटर्जी में कहते हैं।पेंटिंग्स खरीदने वालों में हर्ष नेवटिया, जगमोहन डालमिया, हरनाथ चक्रवर्ती, रंजीत मल्लिक, जय मेहता समेत कई जाने माने लोग व उद्योगपित शामिल है। वहीं, देखने वाले संजीव गोयनका, आरएस अग्रवाल, आरएस गोयनका, मेघनाथ राय, संदीप भूतोडि़या, जय गोस्वामी, कावेरी गोस्वामी शामिल थे। इन लोगों ने कहा- आंखों को आकर्षित करते हैं चित्रों के रंग। इनमें तुली (ब्रश) की साहसिकता उभर कर आई है। इन चित्रों में गंभीर शांति के भाव छिपे हैं।मालूम हो कि इस प्रदर्शनी का आयोजन तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागों बांग्ला की ओर से किया गया। इसमें दो युवा कला प्रेमी सृंजय बोस और शिवाजी पांजा का विशेष सहयोग रहा है। ममता के चित्रों की पहली प्रदर्शनी २००५ में लगी थी, जिसके मार्फत चार लाख रुपए जुट पाए थे और दूसरी प्रदर्शनी २००७ में लगी थी और १४ लाख रुपए एकत्रित किए गए थे।शंकर जालान

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